Puraanic contexts of words like Barbari / Barbaree, Barhi, Barhishad, Barhishmati / Barhishmatee, Bala, Balakhaani, Baladeva etc. are given here.
बर्बरी पद्म ६.१०५.६(मालती द्वारा धारित नाम), वायु २३.१९३/ १.२३.१८२(वर्वरि : २०वें द्वापर में अट्टहास नामक अवतार के पुत्रों में से एक), शिव २.५.२६.५१(लक्ष्मी - प्रदत्त बीज से बर्बरी वृक्ष की उत्पत्ति का कथन), ३.५.२७(२०वें द्वापर में अट्टहास नामक शिव अवतार के पुत्रों में से एक), स्कन्द १.२.३७.१(अपर संज्ञा कुमारी नाम वाले बर्बरी तीर्थ के माहात्म्य का आरम्भ), १.२.६२.३१(क्षेत्रपालों के ६४ प्रकारों में से एक), २.४.२३.६(लक्ष्मी द्वारा ईर्ष्या सहित प्रदत्त बीजों से उत्पन्न बर्बरी/मालती वनस्पति का कथन ) barbaree/ barbari
बर्बरीक स्कन्द १.२.६०+ (घटोत्कच व कामकटंकटा - पुत्र, कृष्ण द्वारा चातुर्वर्ण धर्म का कथन , देवी आराधना का आदेश, सुह्रदय नामकरण, विजय ब्राह्मण की साधना में सहायक), १.२.६४(बर्बरीक का भीम से युद्ध , चण्डिल नाम प्राप्ति), १.२.६६.५९(यक्ष सूर्यवर्चा का अंश ) barbareeka/ barbarika
बर्बुर लक्ष्मीनारायण १.१५५.५२(अलक्ष्मी के बर्बुर वृक्ष सदृश हस्त का उल्लेख), २.२३६.२३(बर्बुर नृप द्वारा वन में अश्व रूप धारी मुनि का ग्रहण, अश्व द्वारा नृप को बर्बुर वृक्ष बनने का शाप, कृष्ण द्वारा बर्बुर वृक्ष की मुक्ति का वृत्तान्त), ४.२९.१०९(कृतघ्ना का बर्बुर अरण्य में जाने का उल्लेख ) barbura
बर्हण देवीभागवत ७.९.३८(बर्हणाश्व : निकुम्भ - पुत्र, कृशाश्व - पिता), भागवत ९.६.२५(निकुम्भ - पुत्र, इक्ष्वाकु वंश), वामन ९०.१६(बर्हण तीर्थ में विष्णु का कार्तिकेय नाम से वास ) barhana
बर्हि ब्रह्माण्ड २.३.६३.१४७(बर्हिकेतु : कपिल की क्रोधाग्नि से सुरक्षित बचे सगर के ४ पुत्रों में से एक), भागवत ३.२२.३१(वराह के रोमों से बर्हि की उत्पत्ति का कथन), ९.१२.१३(बृहद्राज - पुत्र, कृतञ्जय - पिता, भविष्य के नृपों में से एक), मत्स्य १५.२(विभ्राज नामक लोकों में बर्हिणयुक्त विमानों की स्थिति का उल्लेख), १९६.१३(बर्हिसादी : आङ्गिरस गोत्र के प्रवर प्रवर्तक ऋषियों में से एक), १९९.४(बर्हियोगगदायन : कश्यप कुल के गोत्रकार ऋषियों में से एक), वायु ४८.१२(भारतवर्ष के दक्षिण में बर्हिण द्वीप के पर्वों के रूप में क्षुद्र द्वीप समूह का उल्लेख), ८८.१४९/२.२६.१४८(बर्हिकेतु : कपिल की क्रोधाग्नि से सुरक्षित बचे सगर के ४ पुत्रों में से एक), विष्णु ३.१८.२(मायामोह नामक बर्हिपिच्छधारी दिगम्बर द्विज द्वारा तपोरत असुरों को वेद मार्ग से भ्रष्ट करने का वृत्तान्त ) barhi
बर्हिष मत्स्य १५.२(विभ्राज लोकों में संकल्प द्वारा संचालित बर्हिषों की स्थिति का उल्लेख), ५१.२४(होत्रिय अग्नि, हव्यवाहन - पिता ), द्र. कम्बलबर्हिष, चित्रबर्ह, प्राचीनबर्हि barhisha
बर्हिषद् गरुड १.८९.४१(पितर, दक्षिण दिशा की रक्षा), गर्ग ४.१४.३२(रङ्गोजि गोप की नगरी का नाम), ब्रह्माण्ड १.२.१३.७(अग्निहोत्र करने वाले पितरों का नाम), १.२.१३.२९(पितरों के २ मुख्य भेदों अग्निष्वात्त व बर्हिषद का कथन), १.२.१३.३२(बर्हिषद् पितरों व स्वधा से उत्पन्न २ कन्याओं धारणी व मानसी का कथन), १.२.१३.३३(बर्हिषद पितरों के सोमपायी होने का उल्लेख), १.२.२३.७६(४ प्रकार के पितरों में बर्हिषद पितरों के मास रूप होने का उल्लेख), १.२.२८.१५(४ प्रकार के पितरों का कथन, पितरों का अर्धमास, मास, अयन आदि के साथ तादात्म्य तथा पितामह, प्रपितामह संज्ञा), १.२.२८.७२(हविर्यज्ञ करने वालों के बर्हिषद पितर बनने का कथन?), २.३.१०.५३(बर्हिषद पितरों की मानसी कन्या अच्छोदा का वृत्तान्त), भागवत ४.२४(हविर्धान - पुत्र, प्राचीनबर्हि उपनाम, शतद्रुति - पति, १० प्रचेताओं का पिता), मत्स्य १५.१(विभ्राज नामक लोकों में बर्हिषद् पितरों की स्थिति का उल्लेख), १०२.२१(स्नान कर्म के संदर्भ में तर्पणीय पितरों के ७ प्रकारों में से एक), १२६.६८(पितरों के ३ प्रकारों में बर्हिषदों के सौम्य होने का उल्लेख), १४१.३(पुरूरवा द्वारा पितरों की तृप्ति के संदर्भ में पितरों के ४ प्रकारों में से एक), १४१.१५(हविर्यज्ञ करने वाले गृहस्थों के बर्हिषद् पितर होने का उल्लेख), वायु ३०.६(पितर, अग्निहोत्री), ५२.६८(पितर, मासों का रूप), ५६.१३(पुरूरवा द्वारा पितरों को प्रतिमास सुधा से तृप्त करने के संदर्भ में ४ प्रकार के पितरों का वर्णन), ५६.६७/१.५६.६४(यजन करने वालों के बर्हिषद पितर बनने का उल्लेख?), ११०.१०/२.४८.१०(गया में श्राद्ध के समय आहूत पितरों के ३ प्रकारों में से एक), विष्णु १.१०.१८(अनग्निक व साग्निक रूप से अग्निष्वात्त व बर्हिषद् पितरों के भेद का कथन), २.१२.१३(अमावास्या को नि:सृत सुधा से ३ प्रकार के पितरों की तृप्ति का कथन), शिव ७.१.१७.४७(२ प्रकार के पितरों में से एक, धरणी कन्या के पति), स्कन्द ५.१.५८(पितर , दक्षिण दिशा में वास), हरिवंश १.१८.४६(पितरों का गण, वंश वर्णन), लक्ष्मीनारायण ३.४१.८९(चन्द्र पिता, रवि पितामह तथा अग्नि प्रपितामह का क्रम से सोमप, बर्हिषद् व अग्निष्वात्त नामोल्लेख ) barhishad
बर्हिषाङ्गद लक्ष्मीनारायण १.५७(हाटकाङ्गद उपनाम, खट्वाङ्गद राजा से बर्हिषाङ्गद की उत्पत्ति की कथा, ऋषि के गले में मृत सर्प डालना, परीक्षित् की कथा से साम्य), लक्ष्मीनारायण १.५७(बर्हिषाङ्गद की खट्वाङ्गद राजा से उत्पत्ति की कथा, ऋषि के गले में मृत सर्प डालना, परीक्षित की कथा से साम्य),
बर्हिष्मती गर्ग ४.१५.३(बर्हिष्मतीपुरी की वनिताओं का कृष्ण के साथ रास - विलास), ५.१८.१(बर्हिष्मती पुरी की गोपियों द्वारा कृष्ण विरह पर व्यक्त प्रतिक्रिया), देवीभागवत ८.४.३(विश्वकर्मा प्रजापति की कन्या, प्रियव्रत - पत्नी, १० अग्नि संज्ञक पुत्र), भागवत ३.२२.२९(मनु की राजधानी बर्हिष्मती के बर्हिष्मती नाम के कारण का कथन), ५.१.२४(विश्वकर्मा - पुत्री, प्रियव्रत - भार्या, आग्नीध्र आदि पुत्रों की माता ) barhishmatee/ barhishmati
बल अग्नि ३४८.६(ञ अक्षर के बलवाचक होने का उल्लेख), ३४८.११(र अक्षर के अग्नि, बल व इन्द्र का वाचक होने का उल्लेख), गरुड १.६८(असुर , पशुता त्याग पर शरीर अवयवों का रत्न बनना ), देवीभागवत ८.१९.१(मय - पुत्र, अतल नामक विवर में स्थिति), नारद १.६६.९६(बलानुज विष्णु की शक्ति परायणा का उल्लेख), १.६६.९६(बली विष्णु की शक्ति परा का उल्लेख), १.६६.११७(बलीश की शक्ति सुमुखेश्वरी का उल्लेख), पद्म १.६७.२९(देव - दानव युद्ध में इन्द्र द्वारा बल का वध), २.२३(दिति व कश्यप से बल की उत्पत्ति, सन्ध्या रत बल का इन्द्र द्वारा वध), ६.६(प्रभावती - पति, जालन्धर - सेनानी, इन्द्र द्वारा वध पर शरीर से रत्नों की उत्पत्ति), ब्रह्मवैवर्त्त ३.४.४३(बल सौन्दर्य हेतु धत्तूर कुसुमाकार रत्न पात्र दान का उल्लेख), ३.३५.८७(गृहस्थ का बल धर्म, वृक्ष का फल, बाल का रोदन आदि आदि), ब्रह्माण्ड १.२.११.३(श्री व नारायण के २ पुत्रों में से एक, तेज - पिता), २.३.६.३१(अनायुषा के ५ दैत्य पुत्रों में से एक, निकुम्भ व चक्रवर्मा - पिता), २.३.७.२३६(बलसागर : वाली के सेनानायक प्रधान वानरों में से एक), २.३.७.४५१(शुकी व गरुड के ६ पुत्रों में से एक), २.३.७.४६५ (दिति की बलशीला प्रकृति का उल्लेख), २.३.६३.२०४(दल - पुत्र, उलूक - पिता, कुश वंश), ३.४.३६.५२(बलसिद्धि : कईं सिद्धियों में से एक), भविष्य ३.४.१८(संज्ञा विवाह प्रकरण में बल का शक्र से युद्ध), भागवत ५.२४.१६(मय - पुत्र, बल के जृम्भण से कामिनी स्त्रियों की उत्पत्ति), ८.११.२८(इन्द्र द्वारा बल का वध), ८.२१.१६(विष्णु के पार्षदों में से एक), ९.१२.२(बलस्थल : पारियात्र - पुत्र, वज्रनाभ - पिता), ९.२४.४६(वसुदेव व रोहिणी के पुत्रों में से एक), १०.६१.१५(माद्री/लक्ष्मणा व कृष्ण के पुत्रों में से एक), ११.१६.३२(भगवान की विभूति के वर्णनान्तर्गत भगवान के बलवानों में ओज, सह होने का उल्लेख), ११.१९.३९(प्राणायाम के श्रेष्ठ बल रूप होने का उल्लेख), मत्स्य ४.४५(हविर्धान व आग्नेयी के ६ पुत्रों में से एक), १४५.१११(१३ ब्रह्मिष्ठ कौशिक ऋषियों में से एक), १७१.४३(धर्म व साध्या के साध्य संज्ञक पुत्रों में से एक), २००.१२(बलेक्षव : वसिष्ठ वंश के त्र्यार्षेय प्रवर प्रवर्तक ऋषियों में से एक), मार्कण्डेय १००.३७/९७.३७(वैवस्वत मन्वन्तर के श्रवण से बल प्राप्ति का उल्लेख), वामन ९.३०(अन्धकासुर - सेनानी), ६९.१८(वही), वायु २८.२(श्री व नारायण के २ पुत्रों में से एक), ८८.२०४/२.२६.२०३(दल - पुत्र, औक - पिता, कुश वंश), विष्णु ४.१.२०(बलन्धन : नाभाग - पुत्र, वत्सप्रीति - पिता), विष्णुधर्मोत्तर ३.७३(यम पुत्र, मूर्ति रूप), शिव ४.२०.३०(कर्कटी व कुम्भकर्ण - पुत्र भीम द्वारा ब्रह्मा से अतुल बल रूप वरदान की प्राप्ति), स्कन्द ४.२.६१.१८९(महाबल नृसिंह विष्णु का संक्षिप्त माहात्म्य), ४.२.६९.१४(महाबल लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य), ५.२.७९.१९(बल में हनुमान की अतुलनीयता का उल्लेख), हरिवंश ३.४९.३२(बलि - सेनानी, रथ का वर्णन), ३.५३.७(बल का ध्रुव वसु से युद्ध), ३.५३.१८(वृत्र - भ्राता, मृगव्याध रुद्र से युद्ध), ३.५८.३०(बल असुर का मृगव्याध से युद्ध), महाभारत सभा १५.१३(कृष्ण में नय, अर्जुन में जय तथा भीम में बल होने का उल्लेख), उद्योग ३७.५२(बाहुबल आदि ५ बलों के नाम), ३९.६९(तापसों का बल तप, ब्रह्मविदों का ब्रह्म, असाधुओं का हिंसा और गुणियों का क्षमा होने का उल्लेख), शान्ति ३२९.१२(क्षमा के परम बल होने का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण २.८०(राजा बलेशवर्मा द्वारा तारकायन ऋषि की कृपा प्राप्त करना, कृष्ण द्वारा तामस वनवासी रूप धारण कर राजा की परीक्षा का वृत्तान्त), २.८१(बलेशवर्मा द्वारा कृष्ण की स्तुति, कृष्ण द्वारा बलेशवर्मा व उसके पुत्र - पुत्रियों के दिव्य अंशावतारों के नामों का कथन, राजा आदि द्वारा द्वेधा रूप धारण कर निवास), २.१०६.४९(राजा दक्षजवंगर के वैष्णव यज्ञ में बलायन के उद्गाता ऋत्विज बनने का उल्लेख), ३.१६१(ललिता लक्ष्मी के द्वारपालों बल व प्रबल में से बल का ललिता की सखियों के असंयत आवागमन से क्रुद्ध होना, ललिता की सखियों द्वारा दानव होने का शाप, दिति - पुत्र बल द्वारा तपस्या से बल की प्राप्ति पर देवों पर विजय, देवों को वरदान स्वरूप समित् में परिणत होना, समित् का रत्नों में परिवर्तित होना), कथासरित् २.२.२१(महाबल उपेन्द्रबल : श्रीदत्त का मित्र), ९.२.३४(बलसेन : क्षत्रिय, अशोकमाला - पिता), १०.२.५७(बलवर्मा : चन्द्रश्री - पति, पत्नी के व्यभिचार तथा सती होने की कथा), १२.५.२११(देवभूति की कथा में बलासुर धोबी ), द्र. कुशीबल, नागबला, महाबल bala
बलक ब्रह्माण्ड २.३.७.१२९(देवजनी व मणिवर के यक्ष गुह्यक पुत्रों में से एक), वायु ६८.९/२.७.९(दनु के प्रधान असुर पुत्रों में से एक), विष्णु ४.२४.३(बलाक : प्रद्योत - पुत्र, विशाखयूप - पिता, भविष्य के राजाओं में से एक ) balaka
बलखानि भविष्य ३.३.१.२३(वत्सराज - पुत्र, युधिष्ठिर का अंश), ३.३.१२.२८(कृष्णांश की सेना में हयों का अधिपति), ३.३.१२.३२(देवी को प्रसन्न करने के लिए बलखानि द्वारा कांस्य / मंजीरे धारण), ३.३.१५.१०(देवी द्वारा कुण्ड भरण की परीक्षा, दीर्घजीवी होने का वर), ३.३.१६.१०(गजसेना - कन्या गजमुक्ता द्वारा स्वयंवर में बलखानि का वरण, गजसेन द्वारा यातनाएं), ३.३.२४.८३(चामुण्ड द्वारा आक्रमण करने पर चामुण्ड को पराजित कर अपमानित करना), ३.३.२५.४८(पृथ्वी राज से युद्ध , १२ गर्त्त पार करते समय चामुण्ड द्वारा बलखानि का वध ) balakhaani/ balakhani
बलद कथासरित् ७.३.१५४(बल, सोमदा योगिनी के प्रभाव से बलद रूप धारण )
बलदेव देवीभागवत ४.२२.३१(अनन्त का अंश), ७.८.४१(वासुदेव - अग्रज, शेषांश, रेवत - कन्या रेवती से विवाह), ब्रह्म १.९०(गोपियों के साथ विहार, यमुना का कर्षण , रेवती से विवाह), १.९२(रुक्मी से द्यूत क्रीडा , रुक्मी का वध), ब्रह्मवैवर्त्त ४.९(बलदेव के जन्म की कथा, गर्भ स्थान्तरण), ४.१०४.८८(बलदेव द्वारा उग्रसेन के राज्याभिषेक के समय पारिजात माला, रत्न, छत्र आदि भेंट करने का उल्लेख), ब्रह्माण्ड २.३.६१(रेवती प्रदान), भविष्य १.१३८.३८(बलदेव की काल ध्वज का उल्लेख), भागवत ९.३.३३(ब्रह्मा द्वारा रैवत ककुद्मी को स्वकन्या रेवती को नारायण के अंश बलदेव को प्रदान करने का निर्देश), मार्कण्डेय ६(बलदेव द्वारा सूत की हत्या), वायु ८६.२९/२.२४.२९(ककुद्मी द्वारा स्वकन्या रेवती बलदेव को देने का कथन), विष्णु ४.१.९१(केशवांश , रेवती से विवाह की कथा), ४.१३.१०६(दुर्योधन द्वारा बलदेव से गदा की शिक्षा का ग्रहण), स्कन्द ३.१.१९ (सूत वध से बलभद्र को ब्रह्महत्या की प्राप्ति, ब्रह्महत्या से निवृत्ति हेतु उपाय, लक्ष्मणेश्वर लिङ्ग के दर्शन से मुक्ति का वर्णन), कथासरित् ५.१.५७(शक्तिदेव - पिता ) baladeva
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