पुराण विषय अनुक्रमणिका

PURAANIC SUBJECT INDEX

(From Dvesha to Narmadaa )

Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar

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Dwesha - Dhanavati ( words like Dwesha,  Dvaipaayana, Dhana / wealth, Dhananjaya, Dhanada etc.)

Dhanaayu - Dhara ( Dhanu / bow, Dhanurveda / archery, Dhanusha / bow, Dhanushakoti, Dhanyaa,  Dhanvantari, Dhara etc.)

Dhara - Dharma ( Dharani, Dharaa, Dharma etc.)

Dharma - Dharmadatta ( Dharma, Dharmagupta, Dharmadatta etc.)

Dharmadhwaja - Dhaataa/Vidhaataa ( Dharmadhwaja, Dharmaraaja, Dharmasaavarni, Dharmaangada, Dharmaaranya, Dhaataki, Dhaataa, Dhaaataa - Vidhaataa etc.)

Dhaatu - Dhishanaa ( Dhaataa - Vidhaataa, Dhaatu / metal, Dhaatri, Dhaanya / cereal, Dhaarnaa, Dhaarni, Dhaaraa, Dhishanaa etc.)

Dhishanaa - Dhuupa (Dhee / intellect, Dheeman, Dheera,  Dheevara, Dhundhu, Dhundhumaara, Dhuupa etc.)

Dhuuma - Dhritaraashtra  ( Dhuuma / smoke, Dhuumaketu, Dhuumaavati, Dhuumra, Dhuumralochana, Dhuumraaksha, Dhritaraashtra etc.)

Dhritaraashtra - Dhenu ( Dhriti, Dhrista, Dhenu / cow etc.)

Dhenu - Dhruva ( Dhenu, Dhenuka, Dhaumya, Dhyaana / meditation, Dhruva etc. )

Dhruvakshiti - Nakshatra  ( Dhruvasandhi, Dhwaja / flag, Dhwani / sound, Nakula, Nakta / night, Nakra / crocodile, Nakshatra etc.)

Nakshatra - Nachiketaa ( Nakshatra, Nakha / nail, Nagara / city, Nagna / bare, Nagnajit , Nachiketa etc.)

Nata - Nanda (  Nata, Nataraaja, Nadvalaa, Nadee / river, Nanda etc.)

Nanda - Nandi ( Nanda, Nandana, Nandasaavarni, Nandaa, Nandini, Nandivardhana, Nandi etc.)

Napunsaka - Nara (  Nabha/sky, Nabhaga, Namuchi, Naya, Nara etc. )

Naraka - Nara/Naaraayana (Nara / man, Naraka / hell, Narakaasura, Nara-Naaraayana etc.) 

Naramedha - Narmadaa  (  Naramedha, Naravaahanadutta, Narasimha / Narasinha, Naraantaka, Narishyanta, Narmadaa etc. )

 

 

Puraanic contexts of words like Dhriti, Dhrista, Dhenu/cow etc. are given here.

धृतराष्ट्री ब्रह्माण्ड २.३.७.४४६, ४५७(कश्यप व ताम्रा की ५ पुत्रियों में से एक, गरुत्मान् - पत्नी, हंसों आदि की माता), वायु ६९.३२८, ३३७/२.८.३१९, ३२८(गरुत्मान् - भार्या धृतराष्ट्री द्वारा हंसों, कलहंसों आदि सब विहगों की सृष्टि का उल्लेख )  dhritaraashtree/ dhritrashtri

 

धृतव्रत ब्रह्म २.२२ (मही - पति, सनाज्जात - पिता, अल्पायु में मरण से पत्नी का वेश्या होना), ब्रह्माण्ड १.२.३६.६४(रैवत मनु के १० पुत्रों में से एक), भागवत ९.२३.१३(धृति - पुत्र, सत्कर्मा - पिता), वायु ९९.११६/२.३७.११२(धृति -पुत्र, सत्कर्मा - पिता), विष्णु ४.१८.२५(धृति - पुत्र, सत्कर्मा - पिता )

 

धृति अग्नि २७४.५ (धृति का पति नन्दी को त्याग सोम के पास जाने का उल्लेख), ३३९.२९(सम्पदा अभ्युदय की धृति संज्ञा का उल्लेख), गरुड १.२१.२ (सद्योजात शिव की ८ कलाओं में से एक), १.४४.१० (धृति का धारणा से साम्य), ३.१६.२४(वायु के धृति नाम का कारण),  ३.१६.८८(धृति रूप वायु की पत्नी हरिप्रीति का उल्लेख), गर्ग ७.१६.४ (मिथिला का राजा, बहुलाश्व - पिता, ब्रह्मचारी रूप धारी प्रद्युम्न से संवाद, प्रद्युम्न द्वारा धृति को दिव्य रूप का दर्शन देना), देवीभागवत ४.२२.४० (धृति के माद्री रूप में अवतरण का उल्लेख), ७.३० (पिण्डारक तीर्थ में देवी का  धृति नाम से वास), ९.१.१०४ (कपिल - पत्नी), ९.१.११४ (ज्ञान - पत्नी), १२.६.८० (गायत्री सहस्रनामों में से एक), नारद १.६५.२८(चन्द्रमा की १६ कलाओं में से एक), १.६६.८७ (विष्णु की शक्ति), पद्म १.२०.७८ (धृति व्रत विधि व माहात्म्य), ब्रह्म १.९.७(धृति के राजा रजि के साथ होने, श्री के धृति के साथ व धर्म के श्री व धृति से साथ होने का कथन), ब्रह्मवैवर्त्त १.९.१०(दक्ष व प्रसूति - कन्या, चन्द्रमा -भार्या, धैर्य - माता), २.११०८ (कपिल - पत्नी, अधीरता को नष्ट करने वाली), ब्रह्माण्ड १.२.९.५९ ( धर्म - पत्नी, नियम - माता), १.२.१४.२७ (कुश द्वीप में ज्योतिष्मान् के ७ पुत्रों में से एक)१.२.२१ (धृतिमान् : कीर्तिमान् व धेनुका - पुत्र), १.२.३६.२७(१२ सुधामा देवगण में से एक), १.२.३६.९८ (सृष्टि व छाया के ५ पुत्रों में से एक), २.३.७.९८(ब्रह्मधान के ९ पुत्रों में से एक), २.३.६४.१२(महाधृति : विबुध - पुत्र, कीर्तिरात - पिता), २.३.६४.२३ (वीतहव्य - पुत्र, बहुलाश्व - पिता, जनक वंश), २.३.७१.१२४(आर्द्रक - पुत्र), ३.४.१.१५(२० संख्या वाले सुतप देवगण में से एक), ३.४.१.६४(धृतिकेतु : प्रथम सावर्णि मनु के ९ पुत्रों में से एक), ३.४.३५.९४(ब्रह्मा की कलाओं में से एक), भागवत ५.२०.२६(निजधृति : शाकद्वीप की ७ नदियों में से एक), ९.१३.२६(वीतहव्य - पुत्र, बहुलाश्व - पिता, जनक वंश), ९.१९.३६(धृति की परिभाषा : जिह्वा-उपस्थ जय), ९.२३.११(जयद्रथ व संभूति - पुत्र), ९.२३.१२(विजय - पुत्र, धृतव्रत - पिता), ११.१९.३६(जिह्वा व उपस्थ जय का धृति नाम), मत्स्य ९.३३(भावी सावर्णि मनु के १० पुत्रों में से एक), १३.४८(पिण्डारक तीर्थ में स्थित सती देवी का नाम), २३.२६ (धृति द्वारा स्वपति नन्दी को त्याग कर सोम के पास जाने का उल्लेख), ४४.६२(वृष्णि - पुत्र, कपोतरोमा - पिता), १०१.३४ (धृति व्रत की संक्षिप्त विधि व माहात्म्य), १२२.७४ (कुश द्वीप की सात द्विनामा नदियों में से एक, अन्य नाम महती), १७९.२०(अन्धकासुर के रक्त पानार्थ शिव द्वारा सृष्ट मातृकाओं में से एक), २४६.६२(वामन रूप विष्णु की कटि में स्थित देवियों में से एक), वराह ८७.३ (कुश द्वीप में एक द्विनामा नदी), वामन २.९ (पत्नी धृति सहित कौशिक द्वारा दक्ष के यज्ञ में सदस्य बनने का उल्लेख), वायु ३३.२६(कुश द्वीप के राजा ज्योतिष्मान् के ७ पुत्रों में से एक), ४९.५३(कुश द्वीप के ७ वर्ष पर्वतों में से एक), ६२.८३/२.१.८३(पुष्टि व छाया के ५ पुत्रों में से एक), ८९.१२/२.२७.१२(विबुध - पुत्र, कीर्तिराज - पिता), ८९.२२/२.२८.२२(वीतहव्य - पुत्र, बहुलाश्व - पिता, जनक वंश), ९०.२५/२.२८.२५(धृति का पति को त्याग सोम की सेवा में जाने का उल्लेख), ९६.१२३/२.३४.१२३(आहुक - पुत्र धृति की प्रशंसा?), ९९.११६/२.३७.११२(विजय - पुत्र, धृतव्रत - पिता), १००.१५/२.३८.१५(२० संख्या वाले सुतप देवगण में से एक), विष्णु १.७.२३(दक्ष - कन्या, धर्म की १३ भार्याओं में से एक, नियम - माता), १.८.२५ (वायु - पत्नी), २.४.३६(कुश  द्वीप में ज्योतिष्मान् के ७ पुत्रों में से एक), ४.१२.३९(बभ्रु - पुत्र, कैशिक - पिता), ४.१२.४१(निधृति : धृति - पुत्र, दशार्ह - पिता), विष्णुधर्मोत्तर १.४२.१८ (विष्णु/मोहिनी की जङ्घाओं में धृति की स्थिति), स्कन्द २.१.८.४ - १२ (भगवान् श्रीनिवास व पद्मावती के विवाह के संदर्भ में श्रीहरि के शृङ्गार हेतु धृति द्वारा श्रीहरि को आदर्श / दर्पण दिखाना), ४.२.९३.३ (शतधृति : ब्रह्मा की संज्ञा), ५.३.१९८.८६ (अणिमाण्डव्य व शूलेश्वरी देवी के संवाद में पिण्डारक तीर्थ में उमा देवी के धृति नाम से स्थित होने का उल्लेख), महाभारत वन ३१३.४८ (युधिष्ठिर - यक्ष संवाद में द्वितीयवान् होने का प्रश्न : धृति से द्वितीयवान्), शान्ति १६२.१९ (सुख - दुःख में मन में विकृति न होने का नाम धृति ; भूति प्राप्ति के लिए धृति के सेवन का निर्देश), लक्ष्मीनारायण १.३८२.२५(विष्णु के वायु और लक्ष्मी के धृति होने का उल्लेख), २.२४५.७८ (धृति द्वारा शिश्नोदर को जीतने का निर्देश ), वास्तुसूत्रोपनिषद ६.२१टीका(शेष की सहना शक्ति धृति, व्यापिनी शक्ति विधृति) ; द्र. तपोधृति, दक्ष कन्याएं, सत्यधृति  dhriti

 

धृतिमान् ब्रह्माण्ड १.२.११.२१(धेनुका व कीर्तिमान् के २ पुत्रों में से एक), १.२.१९.५८(कुशेशय पर्वत के धृतिमान् वर्ष का उल्लेख), २.३.६४.९(महावीर्य -  पुत्र, सुधृति - पिता, निमि/जनक वंश), ३.४.१.१०५(१३वें रौच्य मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक), मत्स्य २१.३(ब्राह्मण - पुत्रों के पूर्व जन्मों के संदर्भ में सुदरिद्र के ४ पुत्रों में से एक), २४.३३(पुरूरवा व उर्वशी के ८ पुत्रों में से एक), ४९.७०(यवीनर - पुत्र, सत्यधृति - पिता, पूरु वंश), वायु २८.१७(धेनुका व कीर्तिमान् के २ पुत्रों में से एक), ९९.१८४/२.३७.१७९(यवीनर - पुत्र, सत्यधृति - पिता, पूरु वंश), विष्णु ३.२.४०(१३वें रौच्य मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक), ४.१९.४९(यवीनर - पुत्र, सत्यधृति - पिता, पूरु वंश )  dhritimaan

 

धृष्ट देवीभागवत ७.२.२२ (वैवस्वत मनु के १० पुत्रों में से एक, धार्ष्ट - पिता), ब्रह्माण्ड १.२.३८.३०(वैवस्वत मनु के ९/१० पुत्रों में से एक), २.३.६०.२ (वही), २.३.६३.४(धृष्ट के रणधृष्ट पुत्रों की धार्ष्टिक संज्ञा), २.३.७०.४० (कुन्ति - पुत्र, निर्वृत्ति - पिता, मरुत्त वंश), भागवत ७.२.१८(हिरण्याक्ष व रुषाभानु के पुत्रों में से एक), ८.१३.२(वैवस्वत मनु के १० पुत्रों में से एक), ९.२.१७ (वैवस्वत मनु के १० पुत्रों में से एक, धृष्ट - पुत्रों धार्ष्ट के क्षत्रिय से ब्राह्मण बनने का उल्लेख), मत्स्य ११.४०(वैवस्वत मनु के १० पुत्रों में से एक), १२.२० (वैवस्वत मनु -  पुत्र, ३ पुत्रों के नाम), ४४.३९(कुन्ति - पुत्र, निर्वृत्ति - पिता), ४५.३०(धृष्टमान् : अक्रूर व रत्ना के ११ प्रतिहोता संज्ञक पुत्रों में से एक), वायु ६४.२९/२.३.२९(वैवस्वत मनु के ९/१० पुत्रों में से एक), ८८.४/२.२६.४(धृष्ट के रणधृष्ट पुत्रों की धार्ष्टिक संज्ञा), विष्णु ३.१.३३(वैवस्वत मनु के ९/१० पुत्रों में से एक), ४.१.७(वही), ४.१४.१३(कुकुर - पुत्र, कपोतरोमा - पिता, अनमित्र वंश )  dhrishta

 

धृष्टकेतु गर्ग ७.१५.३५ (श्रुतकीर्ति - पति, केकय देश का राजा, प्रद्युम्न को भेंट), देवीभागवत ४.२२.४४ (अनुह्राद दैत्य का अंश), ब्रह्माण्ड २.३.६४.१०(सुधृति - पुत्र, हर्यश्व - पिता, जनक वंश), २.३.६७.७६(सुकुमार - पुत्र, वेणुहोत्र - पिता, दिवोदास वंश), भागवत  ९.१३.१५(सुधृति - पुत्र, हर्यश्व - पिता, जनक वंश), ९.१७.९(सत्यकेतु - पुत्र, सुकुमार - पिता, पुरूरवा वंश), ९.२२.३(धृष्टद्युम्न - पुत्र, दिवोदास वंश), ९.२४.३८(श्रुतकीर्ति - पति, संतर्दन आदि ५ पुत्र, कैकय देश का राजा), वायु ८९.१०/२.२७.१०(सुधृति - पुत्र, हर्यश्व - पिता, जनक वंश), ९२.७२/२.३०.७२(सुकुमार - पुत्र, वेणुहोत्र - पिता, दिवोदास वंश), ९९.२११/२.३७.२०६(धृष्टद्युम्न - पुत्र, दिवोदास  वंश), विष्णु ४.५.२७(सुधृति - पुत्र, हर्यश्व - पिता, जनक वंश), ४.१९.७३(धृष्टद्युम्न - पुत्र, दिवोदास वंश )  dhrishtaketu

 

धृष्टद्युम्न देवीभागवत ४.२२.३८ (पाक / अग्नि का अंश), भागवत ९.२२.२ (द्रुपद - पुत्र, धृष्टकेतु - पिता), वायु ९९.२११/२.३७.२०६(द्रुपद - पुत्र, धृष्टकेतु - पिता), विष्णु ४.१९.७३(वही)  dhrishtadyumna

 

धृष्टबुद्धि पद्म ६.४९.१५ (धनपाल वैश्य के पुत्रों में से एक, एकादशी व्रत से उद्धार), लक्ष्मीनारायण १.२४९.५५ (धनपाल वैश्य के ५ पुत्रों में से एक, कुकर्मों में धन को नष्ट करने और कौण्डिन्य के उपदेश से मोहिनी एकादशी व्रत से उद्धार )

 

धृष्टि ब्रह्माण्ड २.३.७१.४(भजमान व बाह्यका के ३ पुत्रों में से एक), २.३.७१.१८(गान्धारी व माद्री - पति, पुत्रों के नाम), भागवत ९.२४.३(कुन्ति - पुत्र, निवृत्ति - पिता, विदर्भ वंश), ९.२४.७(भजमान के ६ पुत्रों में से एक), विष्णु ४.१२.४१(कुन्ति - पुत्र, निधृति - पिता, विदर्भ वंश), वा.रामायण १.७.३ (राजा दशरथ के ८ मन्त्रियों में से एक )  dhrishti

 

धृष्णि ब्रह्माण्ड २.३.१.१०५(अथर्वाङ्गिरस व पथ्या - पुत्र )

 

धेनु अग्नि १६७.२५(यस्मात्त्वं पृथिवी सर्वा धेनुः केशवसन्निभा । सर्वपापहरा नित्यमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥) , २१०.१० (गौरी आदि १० धेनुओं की कल्पना व दान ; धेनु के शक्ति का रूप होने का कथन), देवीभागवत ७.१०.५१(सत्यव्रत द्वारा वसिष्ठ की धेनु को मार कर खाने का कथन - वसिष्ठस्य च गां दोग्ध्रीमपश्यद्वनमध्यगाम्।। तां जघान क्षुधार्तस्य क्रोधान्मोहाच्च दस्युवत् ।।), नारद २.२८.७१ (धर्म के कामदुघा धेनु होने का श्लोक - धर्मकामदुघा धेनुः संतोषो नंदनं वनम् ।। ), २.४२ (वसु - मोहिनी संवाद के अन्तर्गत गुड धेनु आदि निर्माण व दान विधि), पद्म १.२१.५१ (पुलस्त्य द्वारा भीष्म को गुड धेनु आदि १० धेनुओं के दान की महिमा का वर्णन ; गुड, क्षीर, जल आदि दस धेनुएं लक्ष्मी का रूप), ५.३०.२३ (जाबालि ऋषि द्वारा पुत्र प्राप्ति हेतु राजा ऋतम्भर को धेनु की सेवा करने का निर्देश - तस्मात्त्वं कुरु वै पूजां धेनोर्देवतनोर्नृप यस्याः पुच्छे मुखे शृंगे पृष्ठे देवाः प्रतिष्ठिताः ), भविष्य ४.८४.२८ (विभिन्न द्रव्यों से धेनु के अङ्गों की अर्चना - गुडधेनुविधानं मे त्वमाचक्ष्व जगत्पते ।। किंरूपा केन मंत्रेण दातव्या तदिहोच्यताम् ।।), ४.१५२ (तिल धेनु दान विधि), ४.१५३ (जल धेनु दान विधि, मुद्गल - यम संवाद), ४.१५४ (घृत धेनु दान विधि), ४.१५५ (लवण धेनु दान विधि), ४.१५६ (सुवर्ण धेनु दान विधि), ४.१५७ (रत्न धेनु दान विधि), ४.१५८ (उभयमुखी धेनु दान का माहात्म्य), भागवत ५.१५.३(धेनुमती : देवद्युम्न - पत्नी, परमेष्ठी – माता -- तत्तनयो देवद्युम्नस्ततो धेनुमत्यां सुतः परमेष्ठी ), मत्स्य ८२ (गुड आदि धेनु निर्माण व दान विधि , लक्ष्मी आदि का धेनु रूप), १०१.४९ (धेनु व्रत की संक्षिप्त विधि - यश्चोभयमुखीं दद्यात् प्रभूतकनकान्विताम्। दिनं पयोव्रतस्तिष्ठेत् स याति परमम्पदम्।), २०५ (धेनु दान विधि, प्रसूयमाना धेनु का महत्त्व), २८८ (रत्न धेनु दान विधि), मार्कण्डेय २९.६/२६.६ (सबकी आधारभूता गृहस्थ रूपी धेनु का वर्णन - सर्वस्याधारभूतेयं वत्स ! धेनुस्त्रयीमयी । यस्यां प्रतिष्ठितं विश्वं विश्वहेतुश्च या मता॥), लिङ्ग २.३५ (हेम धेनु दान विधि - खुराग्रे विन्यसेद्वज्रं श्रृंगे वै पद्मरागकम्।। भ्रुवोर्मध्ये न्यसेद्दिव्यं मौक्तिकं मुनिसत्तमाः।।), २.३७ (तिल धेनु दान विधि), वराह ९९.८७  (राजा विनीताश्व द्वारा स्वर्ग में भी क्षुधाविष्ट रहने पर मर्त्य लोक में तिलधेनु, जलधेनु आदि दान से क्षुधा से मुक्ति, तिल धेनु दान आदि की विधि), १४०.४० (कोकामुख क्षेत्र में धेनुवट क्षेत्र का माहात्म्य), विष्णुधर्मोत्तर ३.३०७ (घृत धेनु, कल्प), ३.३०८ (तिल धेनु दान), ३.३०९ (जल धेनु का वर्णन), शिव ५.१०.४३ (धेनु के स्वाहाकार, स्वधाकार आदि ४ स्तनों तथा उनके पान करने वाले देवादिकों का कथन ; धेनु को बलि देने का निर्देश - स्वाहाकारं स्तनं देवास्स्वधां च पितरस्तथा।। वषट्कारं तथैवान्ये देवा भूतेश्वरास्तथा ।।..), स्कन्द ३.२.६ (गृहस्थरूपी धेनु में विश्व की प्रतिष्ठा, माहात्म्य - ऋक्पृष्ठासौ यजुःसंध्या सामकुक्षिपयोधरा । इष्टापूर्तविषाणा च साधुसूक्ततनूरुहा ।।), ५.१.२६.६६ (कुशस्थली में उज्जयिनी में कार्तिक, माघ व वैशाख में क्रमश: घृत, तिल व जल धेनुओं के दान का फल - कौमुदे मासि संप्राप्ते गोदानं तत्र कारयेत् ।। घृतधेनुं च कार्तिक्यां माघ्यां तिलमयीं तथा ।।), ५.३.२६.११५ (बाणासुर की रानी व नारद संवाद में अष्टमी को कृष्णा धेनु दान के फल का कथन), ५.३.८५.८१ (सोमनाथ तीर्थ में श्वेत, रक्त, शबल, पीत, कपिला गायों के दान के विभिन्न फलों का कथन - श्वेतया वर्धते वंशो रक्ता सौभाग्यवर्धिनी । शबला पीतवर्णा च दुःखघ्न्यौ संप्रकीर्तिते ॥), ५.३.१५९.७५ (नरक की वैतरणी पार करने के लिए धेनु दान की विधि), ७.१.२८.९३(गुड आदि १० की धेनु संज्ञा - गुडाज्यदधिमध्वंबुसलिल क्षीरशर्कराः ॥ रत्नाख्याश्च स्वरूपेण दशैता धेनवो मताः ॥),  महाभारत उद्योग १०२ (सुरभि की पुत्री स्वरूपा ४ धेनुओं द्वारा चार दिशाओं का धारण - पोषण, ४ धेनुओं के नाम - सर्वकामदुघा नाम धेनुर्धारयते दिशम्। उत्तरां मातले धर्म्यां तथैलविलसंश्रिताम् ।।), शान्ति २.२० (धनुर्वेद के अभ्यास में रत कर्ण द्वारा अग्निहोत्री की होमधेनु के वध से शाप प्राप्ति), लक्ष्मीनारायण १.४८९ (नन्दिनी धेनु से वार्तालाप से व्याघ्र बने कलश नृप की मुक्ति की कथा - दुर्वासास्तं ततः प्राह यदा धेनुस्तु नन्दिनी । शंभोर्बाणं भूतलस्थं दर्शयिष्यति ते नृप ।।), १.५६३ (मृत राजा विनीताश्व के प्रेत द्वारा क्षुधा से स्वशव भक्षण के संदर्भ में रस धेनु, तिल धेनु आदि १२ धेनुओं के कल्पन व दान विधि का वर्णन - तिलधेनुं शुभां देहि जलधेनुं च सतम ।। घृतधेनुं रसधेनुं दधिधेनुं प्रदेहि च ।) २.१०१.१६ (धेनुपाल पार्षद द्वारा विष्णु व लक्ष्मी के शयन में विघ्न डालने से लक्ष्मी के शापवश मानव योनि में जन्म लेने का वृत्तान्त), २.१४४.३८ (मूर्ति प्रतिष्ठा उत्सव के अन्तर्गत पापधेनु दान का निर्देश - प्रातश्चाधिवासनेऽह्नि स्नात्वा तीर्थोदकैस्ततः ।। प्रायश्चित्तस्य मुक्त्यर्थं पापधेनुं समर्पयेत् ।), २.२७९.८ (मण्डप में माणिक्य स्तम्भ के देवता इन्द्राग्नि व धेनु होने का उल्लेख - पूजितश्चैन्द्रदैवत्यश्चाग्निदैवत्य इत्यपि  ।। धेनुदैवत्य एवापि माणिक्यस्तंभ उच्यते ।), ३.३६.९४ (अनाथ धेनुओं की रक्षा करने हेतु लक्ष्मी के धेनुमती नामक अवतार का कथन), ३.१३२.२६ (रत्नधेनु कल्पन व दान विधि का वर्णन ); द्र. कामधेनु, गौ  dhenu

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