पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Phalabhooti to Braahmi ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Brihat, Brihati, Brihatsaama, Brihadashva, Brihadbala, Brihadratha etc. are given here. बृहती नारद १.५०.३७, पद्म ४.२१.२४(बृहती से हरि स्मरण न करने का उल्लेख?), ब्रह्माण्ड १.२.३६.१०२(रिपु - पत्नी, चक्षुष - माता), २.३.७१.२५५ (बृहदुक्थ - कन्या, पुरु - भार्या, ३ पुत्रों व १ पुत्री के नाम), भविष्य १.१९३.८(बृहती दन्तकाष्ठ की महिमा), भागवत ८.१३.३२(देवहोत्र - पत्नी, योगेश्वर अवतार की माता), वायु ९६.२४६/२.३४.२४६(बृहदुच्छ - कन्या, ३ पुत्रों के नाम), स्कन्द ७.१.१७.९(बृहती वृक्ष के दन्तकाष्ठ का महत्त्व : दुर्जनों पर जय), ७.१.२४.४७(बृहती पुष्प के आपेक्षिक महत्त्व का कथन), हरिवंश २.१०३.१६(कृष्ण - भार्या, गद - माता), लक्ष्मीनारायण १.३११.४२(बृहती द्वारा कृष्ण को घृतदीप प्रस्तुत करने का उल्लेख ) brihatee/ brihati बृहत्कर्मा भागवत ९.२३.११(पृथुलाक्ष के ३ पुत्रों में से एक, अङ्ग वंश), वायु ९९.१०५/२.३७.१०५(भद्ररथ - पुत्र, बृहन्मना - पिता), विष्णु ४.१८.२२ (बृहद्रथ - पुत्र, बृहद्भानु - पिता, अङ्ग वंश), ४.१९.३४(बृहद्धनु - पुत्र, जयद्रथ - पिता, अजमीढ वंश), ४.२३.४(सुनेत्र - पुत्र, सेनजित् - पिता, भविष्य के मागध राजाओं में से एक ) brihatkarmaa बृहत्क्षत्र ब्रह्माण्ड २.३.७१.१५७(कैकय व श्रुतकीर्ति के पुत्रों में से एक), भागवत ९.२१.१(मन्यु के पुत्रों में से एक, वितथ वंश), ९.२१.२०(हस्ती - पिता, वंश वर्णन), मत्स्य ४९.३६(भुवमन्यु के ४ पुत्रों में से एक), ४९.४२(क्षिति? - पति, हस्ति - पिता), वायु ९६.१५६/२.३४.१५६(श्रुतकीर्ति व दन्तवक्त्र? के पुत्रों में से एक), ९९.१५९/२.३७.१५५(भुवमन्यु के महाभूत समान ४ पुत्रों में से एक, सुहोत्र - पिता), विष्णु ४.१९.२१(मन्यु के पुत्रों में से एक, सुहोत्र - पिता, वितथ वंश ) brihatkshatra
बृहत्साम ब्रह्माण्ड १.२.८.५१(रथन्तरसाम की पूर्वमुख, बृहत्साम की ब्रह्मा के दक्षिण मुख से सृष्टि का उल्लेख), २.३.४.२(ब्रह्मा के मुख से सृष्ट मन्त्रशरीर वाले १२ जय देवों में से एक), २.३.७.३३७(बृहत्साम से उत्पन्न पुष्पदन्त गज तथा उसके वंशजों के स्वरूप का कथन), मत्स्य १७.३८(श्राद्ध के अवसर पर गाये जाने वाले सामों में से एक), ५८.३६(तडाग, आराम, कूप आदि की प्रतिष्ठा के अन्तर्गत गाये जाने वाले सामों में से एक), २६५.२७(मूर्ति स्थापना के संदर्भ में पश्चिम दिशा में गाये जाने वाले सामों में से एक), वायु ९.५०/१.९.४५(ब्रह्मा के दक्षिण मुख से बृहत्साम आदि की उत्पत्ति का कथन), २१.७५/१.२१.६८(बृहत् कल्प में ब्रह्मा से उत्पन्न बृहत्साम व रथन्तर साम का कथन, द्विजों द्वारा बृहत्साम का भेदन करने का कथन), ६९.२२१/२.८.२१५(बृहत्साम से उत्पन्न पुष्पदन्त गज व उसके वंशजों के स्वरूप का कथन), विष्णु १.५.५४(बृहत्साम आदि की ब्रह्मा के दक्षिण मुख से सृष्टि का उल्लेख), स्कन्द ६.३६.२१(भूतपीडा नाश के लिए बृहत् साम जप का निर्देश ) brihatsaama Vedic contexts on Brihat
बृहत्सेन गर्ग ७.१८.४५(भद्र देश के अधिपति बृहत्सेन द्वारा प्रद्युम्न की पूजा), भागवत ९.२२.४७(सुनक्षत्र - पुत्र, कर्मजित् - पिता, भविष्य के मगध राजाओं में से एक), १०.६१.१७(कृष्ण व भद्रा के पुत्रों में से एक), १०.८३.१८(कृष्ण - पत्नी लक्ष्मणा द्वारा स्व पिता बृहत्सेन द्वारा आयोजित स्वयंवर का वर्णन ) brihatsena बृहदश्व देवीभागवत ७.९.३५(शावन्त - पुत्र, कुवलयाश्व - पिता), ब्रह्माण्ड २.३.६३.२८(श्रावस्त - पुत्र, कुवलाश्व - पिता, उत्तंक की प्रार्थना पर बृहदश्व द्वारा कुवलाश्व का धुन्धु वध हेतु प्रेषण), भागवत ९.१२.११(सहदेव - पुत्र, भानुमान् - पिता, भविष्य के नृपों में से एक), मत्स्य १२.३१(श्रावस्त - पुत्र, कुवलाश्व - पिता, इक्ष्वाकु वंश), वायु ८८.२७/२.२६.२७(श्रावस्त - पुत्र, कुबलाश्व - पिता, उत्तंक द्वारा धुन्धु दैत्य के निग्रह का अनुरोध), ९९.३३५/२.३७.३२९(शतधर - पुत्र बृहदश्व के ७ वंशजों के नृप होने का उल्लेख), विष्णुधर्मोत्तर १.१६.१३(कुवलाश्व - पिता, उत्तंक मुनि के आदेश से कुवलाश्व का धुन्धु के वध हेतु प्रेषण), शिव ३.५.३४(२३वें द्वापर में श्वेत नामक शिव अवतार के ४ पुत्रों में से एक), स्कन्द ६.१०५(शाल्व देश का नृप, राक्षसों द्वारा स्थापित लिङ्गों की भूमि पर प्रासाद निर्माण की चेष्टा, लिङ्ग दर्शन से मृत्यु), हरिवंश १.११.२२(श्रावस्त - पुत्र, कुवलाश्व - पिता ) brihadashva बृहदिषु भागवत ९.२१.२२(अजमीढ - पुत्र, बृहद्धनु - पिता), ९.२१.३२(भर्म्याश्व के बृहदिषु आदि ५ पुत्रों की पाञ्चाल संज्ञा), मत्स्य ४९.४९(बृहद्धनु - पुत्र, जयद्रथ - पिता, अजमीढ वंश), ५०.३(भद्राश्व के ५ पुत्रों में से एक, पञ्चाल संज्ञा का कारण), वायु ९९.१९६/२.३७.१९१(भेद? के ५ पुत्रों में से एक, पाञ्चाल संज्ञा का कारण), विष्णु ४.१९.५९(हर्यश्व के मुद्गल, बृहदिषु आदि ५ पुत्रों की पाञ्चाल संज्ञा ) brihadishu बृहदुक्थ ब्रह्माण्ड २.३.७१.२५५(शैनेय बृहदुक्थ की पुत्री बृहती का वृत्तान्त), मत्स्य १९६.३५(त्र्यार्षेय प्रवर प्रवर्तक ऋषियों में से एक), वायु २३.२०५/१.२३.१९३(२३वें द्वापर में श्वेत नामक अवतार के पुत्रों में से एक), ५९.९३(बृहदुत्थ : सत्य से ऋषिता प्राप्त करने वाले ऋषिकों में से एक), ६५.१०२/२.४.१०२(बृहदुत्थ : वामदेव - पुत्र ) brihaduktha बृहद्दुर्ग हरिवंश २.५९.६०(शिशुपाल द्वारा बृहद्दुर्ग का वध ) बृहद्द्युम्न स्कन्द ३.१.३३(बृहद्द्युम्न राजा के सत्र में परावसु द्वारा अध्वर कर्म , परावसु द्वारा अनुज अर्वावसु पर ब्रह्महत्या दोष के मिथ्या आरोपण की कथा ) brihaddyumna बृहद्धनु भागवत ९.२१.२२(बृहदिषु - पुत्र, बृहत्काय - पिता), मत्स्य ४९.४८(बृहन्मना - पुत्र, बृहदिषु - पिता), विष्णु ४.१९.३४(बृहदिषु - पुत्र, बृहत्कर्मा - पिता ) brihaddhanu बृहद्धर्मा हरिवंश १.२०.१९(अपर नाम बृहद्धनु, बृहदिषु - पुत्र, सत्यजित् - पिता, पुरु वंश), लक्ष्मीनारायण ३.३५.५७(राजा बृहद्धर्म द्वारा चातुर्मास , सोमयाग आदि यज्ञों के अनुष्ठान का वर्णन, यज्ञों के अन्त में अनशन व्रत पर अनादिश्री महाचार्य नारायण के प्राकट्य का कथन ) brihaddharma बृहद्ध्वज पद्म ७.४.८२(राक्षस, केशिनी पर आसक्ति , प्रयाग महिमा से स्वर्ग गमन ) बृहद्बल ब्रह्माण्ड २.३.३९.२(कार्त्तवीर्य - सेनानी, परशुराम से युद्ध, परशुराम द्वारा गदा से वध का उल्लेख), २.३.६३.२१३(विश्रुतवान् - पुत्र, इक्ष्वाकु वंश का अन्तिम राजा), २.३.७४.१०४(बृहद्बल के वंश में भविष्य के राजाओं का उल्लेख), भागवत ९.१२.८(तक्षक - पुत्र, बृहद्रण - पिता, अभिमन्यु द्वारा युद्ध में वध का उल्लेख), ९.२४.४(देवभाग व कंसा के २ पुत्रों में से एक), मत्स्य २७१.४(उरुक्षय - पिता, भविष्य के वंश का वर्णन), वायु ८८.२११/२.२६.२११(विश्रुतवान् - पुत्र, इक्ष्वाकु वंश का अन्तिम राजा), ९९.२९०/२.३७.२८७(कलियुग में इक्ष्वाकु वंश के बृहद्बल के अन्वय में उत्पन्न राजाओं का उल्लेख), विष्णु ४.४.११२(विश्वभव - पुत्र, अभिमन्यु द्वारा वध का उल्लेख, इक्ष्वाकु वंश), ४.२२.२(भविष्य के इक्ष्वाकु राजाओं का बृहद्बल से आरम्भ), स्कन्द ६.४५.४०(त्रिपुष्कर जल में पतन से बृहद्बल को कुष्ठ की प्राप्ति, विश्वामित्र के परामर्श से मुक्ति), ६.१२५.५१(आनर्त देश का नृप, ब्रह्मलोक से लौटे पूर्व राजा सत्यसन्ध से वार्त्तालाप, शत्रुओं द्वारा वध), ६.१९६.९(दशार्ण - अधिपति, आनर्त अधिपति की कन्या रत्नावली से विवाह हेतु आनर्त आगमन), महाभारत उद्योग १६०.१२१(कौरव सेना रूपी महासमुद्र में बृहद्बल के विशाल ज्वार रूप होने का उल्लेख ) brihadbala बृहद्बाहु गर्ग ७.१५.३(उड्डीश - डामर देश के राजा बृहद्बाहु की प्रद्युम्न से पराजय ) बृहद्भानु गणेश १.२६.२७(दक्ष - पुत्र, वंश का वर्णन), गर्ग ७.२०.३०(प्रद्युम्न - सेनानी, शल्य से युद्ध), भागवत ८.१३.३५(अवतार, सत्रायण व विताना - पुत्र), १०.६१.१०(सत्यभामा व कृष्ण के १० पुत्रों में से एक), मत्स्य ४८.१००(बृहत्कर्मा - पुत्र, जयद्रथ - पिता), वायु ९९.११४/२.३७.११०(बृहन्मना - पिता, अङ्ग वंश), विष्णु ४.१८.२२(बृहत्कर्मा - पुत्र, बृहन्मना - पिता, अङ्ग वंश ) brihadbhaanu/ brihadbhanu बृहद्रथ देवीभागवत ११.१८.४९(पूर्व जन्म में चक्रवाक्, देवी मन्दिर प्रदक्षिणा से राजा), पद्म ६.१८६(राजा, यज्ञीय अश्व की इन्द्र द्वारा चोरी व मृत्यु, गीता के १२वें अध्याय के प्रभाव से जीवित होना), भागवत ९.१३.१५(देवरात - पुत्र, महावीर्य - पिता, निमि वंश), ९.२२.५(उपरिचर वसु के पुत्रों में ज्येष्ठ, कुशाग्र - पिता, अजमीढ वंश), ९.२२.७(बृहद्रथ की भार्या से जरासन्ध की उत्पत्ति का कथन), ९.२२.४३(तिमि - पुत्र, सुदास - पिता, जनमेजय वंश), ९.२३.११(पृथुलाक्ष के ३ पुत्रों में से एक, बृहन्मना - पिता, अङ्ग वंश), १२.१.१५(शतधन्वा - पुत्र, मौर्य वंश, सेनापति पुष्यमित्र शुङ्ग द्वारा हत्या का उल्लेख), मत्स्य ४८.१०१(जयद्रथ - पुत्र, जनमेजय - पिता, अङ्ग वंश), ४८.१०७(बृहत्पुत्र - पुत्र, सत्यकर्मा - पिता, अङ्ग वंश), ५०.३१(सम्भव - पुत्र, जरासन्ध - पिता, अजमीढ वंश), ५०.८५(तिग्मात्मा - पुत्र, वसुदामा - पिता, भविष्य के नृपों में से एक), २७२.२२(शतधन्वा - पुत्र बृहद्रथ द्वारा ७० वर्ष राज्य करने का उल्लेख, मौर्य वंश ; बृहद्रथ के वंशजों की बृहद्रथ संज्ञा, पुष्यमित्र शुङ्ग द्वारा मौर्य वंश के अन्त का उल्लेख), वायु ९३.२७/२.३१.२७(बृहद्रथ द्वारा शक्र से दिव्य रथ की प्राप्ति का कथन), ९९.११०(बृहत्कर्मा - पुत्र, बृहन्मन - पिता, अङ्ग वंश), ९९.१७१/२.३७.१६६(बृहत्कर्मा - पुत्र, विश्वजित् - पिता, अजमीढ वंश), विष्णु ४.१८.२२(भद्ररथ - पुत्र, बृहत्कर्मा - पिता, अङ्ग वंश), ४.२३(बृहद्रथ वंश का वर्णन), स्कन्द ७.१.३७(बृहद्रथ नृप व कण्व का धर्म विषयक वार्तालाप, बृहद्रथ - पत्नी इन्दुमती के पूछने पर कण्व द्वारा ऐश्वर्य प्राप्ति के कारण का वर्णन), लक्ष्मीनारायण २.१८८.१४(बृहद्रथ द्वारा यज्ञों में प्रदत्त सहस्र दक्षिणाओं का कथन ) brihadratha बृहद्राज भागवत ९.१२.१३(बृहद्राज/बृहद्भुज : अमित्रजित् - पुत्र, बर्हि - पिता, भविष्य के राजाओं में से एक), मत्स्य २७१.१०(सुमित्र - पुत्र, कृतञ्जय - पिता), विष्णु ४.२२.६(बृहद्भाज : अमित्रजित् - पुत्र, धर्मी - पिता ) brihadraaja/ brihadraja This page was last updated on 12/08/21. |