पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Phalabhooti to Braahmi ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Bali, Bahu / multiple etc. are given here. बलि अग्नि ९३(वास्तुमण्डल में देवता अनुसार बलि द्रव्य विशेष), कूर्म १.१०(वामन द्वारा बलि के निग्रह की कथा), १.१७(बलि के पुर में उत्पात होने पर प्रह्लाद द्वारा बलि को विष्णु की शरण लेने का परामर्श, वामन द्वारा बलि के यज्ञ में आगमन और बलि के निग्रह का वृत्तान्त), गणेश १.४३.४(त्रिपुर व शिव के युद्ध में बलि का जयन्त से युद्ध), २.३०-३१(वामन - बलि आख्यान), गरुड १.८७.३४(८वें मन्वन्तर में इन्द्र), गर्ग २.११.३४(बलि - पुत्र साहसिक का दुर्वासा मुनि के शापवश धेनुकासुर बनना), ५.११.१३(बलि - पुत्र मन्दगति का त्रित मुनि के शापवश कुवलयापीड हाथी बनना), ५.१२.३(उतथ्य मुनि के ५ पुत्रों द्वारा बलि के यहां मल्लयुद्ध की शिक्षा ग्रहण, पिता के शापवश पांचों पुत्रों का चाणूर, मुष्टिक, कूट, शल और तोशल नामक मल्ल बनना), देवीभागवत ४.१४.५१(बलि द्वारा छिपने के लिए गर्दभ रूप धारण), ८.१९.१३(सुतल - अधिपति, विरोचन - पुत्र, महिमा), ९.४५.६६(दक्षिणाहीन कर्मादि का बलि का आहार होना), नारद १.११.८५(बलि द्वारा यज्ञ, बलि - वामन की कथा), १.११.१९०(वामन द्वारा बलि के निग्रह के पश्चात् बलि हेतु भोजन की व्यवस्था), पद्म १.३०(बलि का बाष्कलि उपनाम, वामन द्वारा निग्रह), २.१०.३५(बलि द्वारा हिरण्यकशिपु प्रभृति दैत्यों को श्रीहरि से वैर त्याग का परामर्श, बलि के परामर्श की दैत्यों द्वारा निन्दा तथा अवहेलना), ५.११४.८१(बलि के आराध्य देव सोम होने का उल्लेख), ६.१२२(कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को बलि की पूजा), ६.२३९(विरोचन - पुत्र, प्रह्लाद - पौत्र, इन्द्र पर विजय प्राप्ति), ब्रह्म १.११.२८(सुतपसा - पुत्र, अङ्ग, वङ्गादि ५ पुत्रों का पिता, वंश की बालेय नाम से प्रसिद्धि), २.४(बलि की प्रशंसा, वामन द्वारा बलि के दर्प का हनन), २.९०.८(बलि के वरुण से युद्ध का उल्लेख?), ब्रह्मवैवर्त्त ४.१०.४२(बलि - कन्या रत्नमाला की वामन रूप पर पुत्रासक्ति, पुन: पूतना रूप में कृष्ण को विषाक्त स्तन पिलाकर मुक्ति), ४.२२.२९(बलि - पुत्र साहसिक को दुर्वासा के शाप से गर्दभ योनि की प्राप्ति, कृष्ण द्वारा उद्धार की कथा), ४.९६.३५(अतिचिरञ्जीवियों में से एक), ४.११९(बाण की सभा में बलि द्वारा कृष्ण की स्तुति), ब्रह्माण्ड २.३.५.४३(बलि के पुत्रों व पुत्रियों के नाम), २.३.७.३०३(बलिबाहु : ऋक्षराज जाम्बवान् के पुत्रों में से एक), २.३.११.३४(विभिन्न प्रकार की काष्ठों से निर्मित बलि पात्रों के फल का कथन), २.३.७४.२९(दीर्घतमस ऋषि से सुदेष्णा में बलि को ५ क्षेत्रज पुत्रों की प्राप्ति का वृत्तान्त), भविष्य १.१९.२६(वैरोचन द्वारा रूप देने का उल्लेख), ३.४.१८.१८(संज्ञा विवाह प्रसंग में बलि का विवस्वान् से युद्ध), ४.७६(बलि व वामन की कथा), ४.१३७(बलि रक्षा विधि), भागवत ५.२४(बलि का सुतल लोक में निवास, ऐश्वर्य का वर्णन), ६.३.२०(भागवत धर्म के जानने वाले १२ व्यक्तियों में से एक), ६.१८.१६(विरोचन - पुत्र, अशना - पति, बाण आदि १०० पुत्र), ८.५.२(रैवत मनु के पुत्रों में से एक), ८.१०(बलि का इन्द्र से युद्ध), ८.२२+ (वामन द्वारा बलि का बन्धन, बलि द्वारा वामन की स्तुति, बलि - पत्नी विन्ध्यावली द्वारा वामन से प्रार्थना, बलि की बन्धन से मुक्ति, सुतल लोक गमन), १०.६१.२४(कृतवर्मा - पुत्र बली द्वारा रुक्मिणी - कन्या चारुमती को प्राप्त करने का उल्लेख), १०.८५(कृष्ण का मृत देवकी पुत्रों को लाने हेतु आगमन, बलि द्वारा स्तुति), ११.१६.३५(भगवान् की विभूतियों के वर्णन के अन्तर्गत भगवान् के ब्रह्मण्यों/ब्राह्मण - भक्तों में बलि होने का उल्लेख), १२.१.२२(आन्ध्र जातीय वृषल बली द्वारा स्व स्वामी की हत्या कर राज्य करने का कथन), मत्स्य ६.११(बलि के पुत्रों के नाम), ४८.२५(सुतपा - पुत्र, सुदेष्णा - पति , अङ्ग, वङ्ग आदि पांच क्षेत्रज पुत्रों की उत्पत्ति की कथा), १९७.६(अत्रि कुल के त्र्यार्षेय प्रवjर प्रवर्तक ऋषियों में से एक), १८७.४०(विन्ध्यावली - पति, अनौपम्या - श्वसुर), २४५+ (विष्णु की निन्दा पर प्रह्लाद द्वारा बलि को नष्ट होने का शाप, वामन द्वारा बलि का निग्रह), २४६(बलि यज्ञ व वामन की कथा), वामन २३+ (बलि के स्वर्गाधिपति बनने व वामन का उपाख्यान), २९(प्रह्लाद से विष्णु महिमा सम्बन्धी संवाद), वामन २३(विरोचन - पुत्र, दैत्यराज पद पर अभिषेक, अतुल ऐश्वर्य की प्राप्ति), ६८( अन्धक - सेनानी, शिवगणों से युद्ध), ७३(मय प्रभृति दैत्यों का बलि को देवताओं से युद्ध का परामर्श), ७४(बलि द्वारा इन्द्र पद की प्राप्ति, प्रह्लाद को उपदेश), ७७(बलि द्वारा विष्णु को दुर्वचन, प्रह्लाद का शाप), (दनु व कश्यप - पुत्र धुन्धु द्वारा जन, तपो, सत्य आदि लोकों को जीतने की इच्छा पूर्ति हेतु अश्वमेध यज्ञ की दीक्षा, वामन विष्णु द्वारा पराभव, बलि की कथा से साम्य), ८८ (बलि द्वारा यज्ञ दीक्षा, वामन का प्राकट्य), ९४(बलि का प्रह्लाद से संवाद), वायु ५९.९९(३३ मन्त्रकार आङ्गिरस ऋषियों में से एक), ६८.३०/२.७.३०(दनायुषा के ५ पुत्रों में से एक, बलि के २ पुत्रों कुम्भिल व चक्रवर्मा का कथन), ७४.३२+ (विभिन्न प्रकार के काष्ठों से निर्मित बलि पात्रों के फल का कथन), ९८.७४(बलि व वामन की कथा), विष्णु ४.२४.४३(आन्ध्र जातीय बलिपुच्छक भृत्य द्वारा स्व स्वामी की हत्या कर राज्य करने का कथन), विष्णुधर्मोत्तर १.४३.१(बलि की महाकूर्म से उपमा), १.५५(बलि - वामन उपाख्यान), १.१२१.६(विरोचन - पुत्र, बाण - पिता व वामन रूप हरि द्वारा बन्धन), १.१२६.२५(सावर्णिक मन्वन्तर में बलि को इन्द्रत्व प्राप्ति), १.१८३(८ वें सावर्णि मन्वन्तर में बलि के इन्द्र होने तथा अन्य ऋषियों, देवसंघ आदि का कथन), १.२३८(बलि द्वारा रावण के गर्व को भङ्ग करना), २.९२(बलि वैश्वदेव), ३.१२१.५(यमुना क्षेत्र में बलि की पूजा का निर्देश), शिव ३.५.८(तेरहवें द्वापर में बलि नामक मुनि रूप से शिवावतार), स्कन्द १.१.९.२०(दैत्यों द्वारा स्वर्ग से अपहृत रत्नों का समुद्र में पतन होने पर बलि द्वारा गुरु शुक्र से कारण की पृच्छा, शुक्र द्वारा हेतु का कथन), १.१.१७(वृत्र वध से क्रुद्ध बलि का शुक्र - आज्ञा से यज्ञ सम्पादन, यज्ञ से रथ प्राप्ति, रथारूढ बलि का देवों पर विजयार्थ स्वर्ग लोक गमन), १.१.१८.११७(विरोचन व सुरुचि - पुत्र, उत्पत्ति प्रसंग, इन्द्र के राज्य की प्राप्ति, वामन द्वारा बलि के निग्रह का वृत्तान्त), १.१.१८.५३(पूर्व जन्म में कितव होने का वृत्तान्त), १.१.१९(बलि द्वारा शुक्र के परामर्श की उपेक्षा, शाप प्राप्ति, वामन द्वारा निग्रह), १.२.६.१०८ (मेधातिथि गौतम की पत्नी द्वारा बलि राजा के ईक्षण का उल्लेख), १.२.१३.१६०(बलि द्वारा उंछज या यज्ञ लिङ्ग की ज्ञानात्मा नाम से पूजा, शतरुद्रिय प्रसंग), २.४.९.४९(कार्तिक चतुर्दशी से लेकर तीन दिन के लिए बलि द्वारा राज्य की प्राप्ति), २.४.९.५८(कार्तिक चतुर्दशी से आरम्भ करके ३ दिन बलि के राज्य में दीपदान आदि का महत्त्व), २.४.१०(बलि प्रतिपदा के कृत्य), ४.२.६१.२०१(बलि वामन का संक्षिप्त माहात्म्य), ५.१.६३(नारद द्वारा बलि को त्रिलोकी विजयार्थ उकसाना, बलि द्वारा त्रिलोकी पर विजय, पीडित देवों का ब्रह्मा के समीप गमन, ब्रह्मा द्वारा उपाय का कथन, बलि का यज्ञ, हरि का वामन रूप में आगमन, बलि - वामन आख्यान), ५.१.६३.२३९(बलि के वाजिमेध यज्ञ के ऋत्विजों के नाम, वामन का आगमन व बलि के यज्ञ की प्रशंसा आदि), ७.१.२०.७(दैत्यावतार क्रम में बलि के जन्म व प्रभाव का कथन), ७.२.१७.२४२(राज्य में अरिष्ट लक्षणों की उत्पत्ति पर शान्ति हेतु बलि द्वारा यज्ञ), ७.४.१८+ (दैत्यों से प्रताडित दुर्वासा का सहायतार्थ बलि के द्वारस्थ वामन से निवेदन, वामन द्वारा पराधीनता का प्रदर्शन, बलि से आज्ञा मिलने पर ही वामन का स्वरूप वृद्धिकरण पूर्वक दुर्वासा सहायतार्थ चक्रतीर्थ में गमन का वर्णन), हरिवंश १.३.७४(विरोचन - पुत्र, वाण प्रभृति १०० पुत्रों का पिता), १.३१.३२ (सुतपा - पुत्र, अङ्ग, वङ्गादि का पिता), ३.३१(वामन द्वारा बलि के राज्य के हरण का प्रसंग), ३.४८+ (बलि का अभिषेक, बलि द्वारा त्रिलोकी की विजय का अभियान), ३.५१.७३(बलि के रथ का वर्णन), ३.६४(बलि का इन्द्र से युद्ध, इन्द्र को पराजित करना), ३.७१(बलि के यज्ञ में वामन का आगमन , विराट रूप का दर्शन २), ३.७२(नारद से मोक्ष विंशक स्तोत्र की प्राप्ति, बन्धन से मुक्ति), महाभारत शान्ति २२७.११६(चातुर्वर्ण के भ्रष्ट होने पर बलि के पाशों के खुलने का कथन), योगवासिष्ठ ५.२२(विरोचन - पुत्र), ५.२३+ (बलि - विरोचन संवाद), वा.रामायण ७.१२.२३(बलि की दौहित्री वज्रज्वाला से कुम्भकर्ण का विवाह), लक्ष्मीनारायण १.१४४.१२(बलि के राज्य के वैभव को देखकर नारद द्वारा इन्द्र व बलि में वैर उत्पन्न करना, वामन के जन्म का वृत्तान्त), १.१४५.११(बलि के यज्ञ के वैभव का वर्णन), १.१४६.१(वामन का बलि के यज्ञ में प्रवेश व ३पद भूमि की याचना, शुक्र द्वारा बलि को दान से रोकने पर भी बलि द्वारा वचन पर वामन द्वारा विराट रूप धारण का वृत्तान्त), १.१४७(बलि का पाशबन्धन, रसातल के राज्य की प्राप्ति, वामन का बलि के गृह में वास), २.३१.९६(बलि द्वारा दीर्घतमा ऋषि की जल से रक्षा तथा बलि की पत्नी सुदेष्णा व दीर्घतमा से पुत्रों की उत्पत्ति का वृत्तान्त), ३.१५६.२८(बलीश्वर नामक जड विप्र के तप से ब्रह्मसावर्णि मनु बनने का वृत्तान्त), ३.१६४.६१(दशम मन्वन्तर में शान्ति इन्द्र के शत्रु बलि के हरि द्वारा निग्रह का कथन), कथासरित् २.२.३९(पाताल - निवासी बलि - पौत्री विद्युत्प्रभा द्वारा श्रीदत्त से स्व दुःख का निवेदन), ८.२.१५६(बलि का तीसरे पाताल में निवास, मयासुर, सुनीथ, सूर्यप्रभ आदि से मिलन), ८.२.३३५(बलि द्वारा सूर्यप्रभ को सुन्दरी नामक कन्या प्रदान ), द्र. बालेय bali बलि-वैश्वदेव अग्नि ५९.५७(अधिवासन विधि में दिक्पालों को बलि देने का निर्देश), १५९.४(पतित प्रेत हेतु नारायण बलि का विधान), २६४.८(बलि वैश्वदेव विधान), ३२३.१३(क्षेत्रपाल बलि मन्त्र व महत्त्व), गरुड २.३०/२.४०(अपमृत्यु होने पर नारायण बलि विधान), देवीभागवत ११.२२(बलि वैश्वदेव विधि), भविष्य १.५७.१(सूर्य रथ यात्रा के संदर्भ में विभिन्न देवताओं को बलि प्रदान का उल्लेख), २.२.१०(बलि व मण्डल पूर्वक वास्तुयाग का विधान), स्कन्द ४.१.३५.१९४ (बलि वैश्वदेव विधि), ४.१.३८.३८(सत्यकाल में बलि वैश्वदेव विधि), ७.१.१७.३७ (बलिभुक् : ईशान दिशा में स्थित क्षेत्रपालों में से एक), लक्ष्मीनारायण १.७७(नारायण बलि विधि), ३.३५.६३(चातुर्मास में वैश्वदेव पर्व में विभिन्न देवों हेतु बलि), ३.१३३.३९(ग्रहों हेतु बलि द्रव्य ) bali vaishvadeva बलीवर्द पद्म ६.७७.१६(ऋषि पञ्चमी व्रत विधान के अन्तर्गत शुनी व बलीवर्द का परस्पर संभाषण, देवशर्मा ब्राह्मण को बलीवर्दत्व प्राप्ति), ब्रह्मवैवर्त्त १.५(कृष्ण के रोमकूपों से उत्पन्न बलीवर्दों में से शिव को एक बलीवर्द की प्राप्ति का उल्लेख), स्कन्द ५.३.१५९.१६(अज्ञान प्रदान से बलीवर्द योनि की प्राप्ति का उल्लेख ) baleevarda/ balivarda बलोत्कट स्कन्द ३.१.५.७५(विधूम वसु - भृत्य, वल्लभ - पुत्र वसन्तक रूप में अवतरण ) बल्लाल गणेश १.२२.१२(कल्याण व इन्दुमती - पुत्र, बालक बल्लाल की गणेश भक्ति ) बल्वल गर्ग ८.८.१५(बलभद्र द्वारा इल्वल - पुत्र बल्वल दैत्य का वध), १०.२५.१९(दैत्य, उग्रसेन के अश्वमेधीय हय का बन्धन, स्वरूप), १०.३५.११(युद्धभूमि में बल्वल का अनिरुद्ध से संवाद व पराजय), पद्म ६.१९८.९०(असुर, बलराम द्वारा वध का उल्लेख), भागवत १०.७८+ (इल्वल - पुत्र, चरित्र दुष्टता, बलराम द्वारा मुसल से वध), स्कन्द ३.१.१९.४२(इल्वल - पुत्र बल्वल के उपद्रव, बलभद्र द्वारा वध ) balvala बहि महाभारत कर्ण ४४.४१(विपाशा में स्थित पिशाच - द्वय में से एक, वाहीक प्रजा की बहि से उत्पत्ति का उल्लेख ) बहिर्वेदी भविष्य २.१.९.२(अन्तर्वेदी व बहिर्वेदी में अन्तर का निर्धारण), विष्णुधर्मोत्तर ३.२९६.१(बहिर्वेदी के रूप में जल व जलाशय निर्माण, वृक्षारोपण आदि की महिमा का वर्णन ) bahirvedee/ bahirvedi बहु ब्रह्माण्ड २.३.७१.११४(बहुभूमि : चित्रक के पुत्रों में से एक), २.३.७.२४४ (बहुगुण : वाली के प्रधान सामन्त वानरों में से एक), भागवत ९.२०.३(बहुगव : सुद्यु - पुत्र, संयाति - पिता, पूरु वंश), ९.२१.३०(रिपुञ्जय - पुत्र, वितथ वंश), मत्स्य ४९.३(बहुविध : धुन्धु - पुत्र, सम्पाति - पिता), १०४.५(बहुमूलक : प्रयाग में प्रजापति क्षेत्र में स्थित नागों में से एक), १९१.१४(बहुनेत्र : त्रयोदशी को नर्मदा तटवर्ती बहुनेत्र तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : सर्वयज्ञ फल की प्राप्ति), १९६.२२(बहुवीति : पञ्चार्षेय प्रवर प्रवर्तक ऋषियों में से एक), वायु ९६.११४/२.३४.११४(बहुभूमि : चित्रक के पुत्रों में से एक), ९९.१२२/ २.३७.११८ (बहुगवी : धुन्धु - पुत्र, सञ्जाति - पिता, पूरु वंश), विष्णु ४.१९.१(बहुगत : सुद्यु - पुत्र, संयाति - पिता, पूरु वंश), ४.१९.५५(रिपुञ्जय - पुत्र, पौरव वंश का अन्तिम राजा), लक्ष्मीनारायण ३.१९४.१३(बहुचरा माता की सेविका स्त्रियों द्वारा राजा चक्रधर के राज्य में उपद्रव पर राजा द्वारा सेविकाओं की हत्या आदि ) bahu This page was last updated on 03/04/16. |