पुराण विषय अनुक्रमणिका

PURAANIC SUBJECT INDEX

(From Phalabhooti  to Braahmi  )

Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar 

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Phalabhooti - Badari  (Phalgu, Phaalguna,  Phena, Baka, Bakula, Badavaa, Badavaanala, Badari etc.)

Badheera - Barbara( Bandi, Bandha / knot, Babhru, Barkari, Barbara etc.)

Barbara - Baladeva ( Barbari / Barbaree, Barhi, Barhishad, Barhishmati / Barhishmatee, Bala, Balakhaani, Baladeva etc.)

Baladevi - Balaahaka (Balabhadra, Balaraama, Balaa, Balaaka, Balaahaka etc.)

Bali - Bahu ( Bali, Bahu / multiple etc.)

Bahuputra - Baabhravya ( Bahuputra, Bahulaa, Baana, Baanaasura, Baadaraayana etc. )

Baala - Baashkali (Baala / child, Baalakhilya, Baali / Balee, Baashkala, Baashkali etc.)

Baaheeka - Bindurekhaa (Baahu / hand, Baahleeka, Bidaala, Bindu/point, Bindumati etc.)

Bindulaa - Budbuda (Bila / hole, Bilva, Bisa, Beeja / seed etc.)

Buddha - Brihat ( Buddha, Buddhi / intellect, Budha/mercury, Brihat / wide etc.)

Brihatee - Brihadraaja (  Brihati, Brihatsaama, Brihadashva, Brihadbala, Brihadratha etc.)

Brihadvana - Bradhna ( Brihaspati, Bodha etc.)

Brahma - Brahmadhaataa ( Brahma, Brahmcharya / celibacy, Brahmadatta etc. )

Brahmanaala - Brahmahatyaa (Brahmaraakshasa, Brahmarshi, Brahmaloka, Brahmashira , Brahmahatyaa etc. )

Brahmaa- Brahmaa  (  Brahmaa etc. )

Brahmaa - Braahmana  (Brahmaani, Brahmaanda / universe, Brahmaavarta, Braahmana etc. )

Braahmana - Braahmi ( Braahmana, Braahmi / Braahmee etc.)

 

 

Puraanic contexts of words like Brahmaraakshasa, Brahmarshi, Brahmaloka, Brahmashira, Brahmahatyaa etc. are given here.

ब्रह्मनाल स्कन्द ..६१.१५५(ब्रह्मनाल तीर्थ का माहात्म्य), 

ब्रह्मपद वायु १०१.९१(ब्रह्मपद का निरूपण, ब्रह्मपद के परार्द्ध पर भेदों का निरूपण), १११.४८/.४९.५८(ब्रह्मपद तीर्थ में श्राद्ध का फल : पितरों का ब्रह्मलोक गमन ) brahmapada 

ब्रह्मपात वायु ४७.१६(प्रहेतृ - पुत्र कुबेर - अनुचर ब्रह्मपात राक्षस की प्रकृति का कथन ) 

ब्रह्मपार्श्व वायु ४१.५९(निषध पर्वत के उत्तर कूट पर स्थित ब्रह्मपार्श्व तीर्थ के महत्त्व का कथन ) 

ब्रह्मपुत्र लक्ष्मीनारायण .१११.५९(पितृकन्याओं में से एक, नदी रूप होना, त्रिवित्त प्रदेश में ब्रह्म पुत्री की स्थिति का उल्लेख), .११२.(ब्रह्मपुत्र नदी के विभिन्न स्थानों पर सर्व देवों की स्थिति का कथन ) brahmaputra 

ब्रह्मप्रकाश लक्ष्मीनारायण .६०.७२(ब्रह्मप्रकाश ब्रह्मचारी द्वारा क्रूरसिंह राक्षस को मोक्ष के उपाय का कथन ) 

ब्रह्मप्रथ लक्ष्मीनारायण .७९.३४(कण्डायन ऋषि की पुत्री ब्रह्मप्रथा का हरिप्रथ मनु की पत्नी बनने तथा ब्रह्मप्रथा के अक्षर धाम प्राप्ति के कारण का वृत्तान्त )

ब्रह्मबल ब्रह्माण्ड ..३३.१०( होत्रवद् ब्रह्मचारियों में से एक), ..३५.५७ (अथर्व संहिताकार देवदर्श के शिष्यों में से एक), भागवत १२..(ब्रह्मबलि : अथर्व संहिताकार वेददर्श के शिष्यों में से एक), मत्स्य २००.(वसिष्ठ कुल के एकार्षेय प्रवर प्रवर्तक ऋषियों में से एक), २००.१२(ब्रह्मबली : वसिष्ठ कुल के त्र्यार्षेय प्रवर प्रवर्तक ऋषियों में से एक), वायु ६१.५१(अथर्व संहिताकार वेदस्पर्श के शिष्यों में से एक), विष्णु ..१०(ब्रह्मबलि : देवदर्श के शिष्यों में से एक ) brahmabala 

ब्रह्मभागा वायु ४३.२८(भद्राश्व देश की मुख्य नदियों में से एक ) 

ब्रह्ममित्र मार्कण्डेय ६३.३६/६०.३६(अथर्व आचार्य ब्रह्ममित्र द्वारा इन्दीवर विद्याधर को राक्षस होने का शाप ) 

ब्रह्मरन्ध्र वायु १०४.७८/.४२.७८(ब्रह्मरन्ध्र में बदरी क्षेत्र का न्यास), लक्ष्मीनारायण .२०४.(ब्रह्मरन्ध्र में हरि के ध्यान का निर्देश ) brahmarandhra

ब्रह्मरसायन लक्ष्मीनारायण .१६.१७(ब्रह्मरसायन साधु द्वारा विनोदिनी विदूषिका को विनोद/रस द्वारा परब्रह्म प्राप्ति साधन की शिक्षा ) 

ब्रह्मराक्षस नारद १.९.७८(सोमदत्त विप्र का गुरु अवज्ञा से ब्रह्मराक्षस बनना, कल्माषपाद / सौदास को गुरु की महिमा का वर्णन), ब्रह्म १.१२०.७७(पूर्व जन्म में सोमशर्मा याज्ञिक, लोभ से यज्ञ कराने पर ब्रह्मराक्षस बनना , जागरण पुण्य दान से मुक्ति), ब्रह्माण्ड २.३.७.९५(स्फूर्ज क्षेत्र में निकुम्भ नामक ब्रह्मराक्षस की उत्पत्ति का उल्लेख), २.३.७.९७(ब्रह्मधना राक्षस - पुत्र गण, नाम), २.३.८.५९(ब्रह्मराक्षसों के आगस्त्य व वैश्वामित्र भेदों का उल्लेख), मत्स्य १२१.६२(सुरभि वन में आगस्त्य ब्रह्मराक्षसों के वास का उल्लेख), वराह १३९.८९(पूर्व जन्म में सोमशर्मा याज्ञिक, चाण्डाल द्वारा मन्दिर गायन फल समर्पण से मुक्ति ), १५५.१५(अग्निदत्त नामक ब्रह्मराक्षस की सुधन वैश्य द्वारा नृत्य के पुण्य दान से मुक्ति), १६७(ब्रह्मराक्षस का ब्राह्मण से संवाद, विश्रान्ति तीर्थ में स्नान के पुण्य से मुक्ति), वायु ६९.१३३/२.८.१२९(ब्रह्मधान के १० पुत्रों की ब्रह्मराक्षस संज्ञा, श्लेष्मातक तरु पर वास का उल्लेख), स्कन्द ३.३.१५.७(ब्रह्मराक्षस द्वारा वामदेव का पीडन, भस्म प्रभाव से जाति ज्ञान), ५.२.५३.१४(ब्रह्महत्या से विदूरथ राजा को सातवें जन्म में ब्रह्मराक्षसत्व की प्राप्ति, निमि राजा द्वारा ब्रह्मास्त्र से वध), लक्ष्मीनारायण ३.८३.९३(ब्रह्मराक्षस योनि की प्राप्ति कराने वाले कुकर्मों का वर्णन), कथासरित् २.४.४९(योगेश्वर नामक ब्रह्मराक्षस से यौगन्धरायण की मित्रता, ब्रह्मराक्षस - प्रोक्त युक्ति से रूप परिवर्तन, वत्सराज की मुक्ति हेतु उद्योग का वृत्तान्त), ६.६.२४(योगेश्वर नामक ब्रह्मराक्षस की सहायता से मन्त्री यौगन्धरायण का कूटनीतिक प्रपञ्च, राजा की रक्षा), १२.२७.७१(ज्वालामुख नामक ब्रह्मराक्षस का पीपल वृक्ष पर वास, राजा चन्द्रावलोक व ब्राह्मण पुत्र की कथा), १७.१.१०६(हरिसोम व देवसोम को मातुल शाप से ब्रह्मराक्षसत्व की प्राप्ति), १८.२.४०(ब्रह्मराक्षसों द्वारा कन्याओं का हरण, राजा विषमशील की आज्ञा से ब्रह्मराक्षसों के कूप में वास का वृत्तान्त ) brahmaraakshasa/ brahmarakshasa

ब्रह्मरात भागवत ..(भीष्म से मिलने आए ऋषियों में से एक), स्कन्द ..९७.१६१(ब्रह्मरातेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ) brahmaraata 

ब्रह्मर्षि ब्रह्माण्ड ..३५.८९(ऋषियों के प्रकारों में से एक, नाम निरुक्ति), ..३५.९७(ब्रह्मर्षियों की ब्रह्मलोक में प्रतिष्ठा का उल्लेख), भागवत १२.११.४९(वालखिल्यों की ब्रह्मर्षि संज्ञा), वामन ९०.१३(ब्रह्मर्षि में विष्णु की पाञ्चालिक नाम से प्रतिष्ठा का उल्लेख), ९०.२०(ब्रह्मर्षि तीर्थ में विष्णु का त्रिणाचिकेत नाम से वास), वायु ६१.८१(ब्रह्मर्षि की निरुक्ति, ब्रह्मलोक में प्रतिष्ठा ) brahmarshi 

ब्रह्मलोक भागवत ११.२३.३०(खट्वाङ्ग द्वारा मुहूर्त भर में ब्रह्मलोक प्राप्ति की साधना का उल्लेख), मत्स्य १५.२४(पितरों की मानसी कन्या नहुष - पत्नी विरजा के ब्रह्मलोक में जाने पर एकाष्टका नाम से प्रथित होने का उल्लेख), २१.४१(ब्रह्मदत्त की कथा तथा पितृ माहात्म्य श्रवण से ब्रह्मलोक प्राप्ति का उल्लेख), ५३.३४(ब्रह्मवैवर्त्त पुराण दान से ब्रह्मलोक प्राप्ति का उल्लेख), १९१.१६(अगस्त्येश्वर तीर्थ में स्नान से ब्रह्मलोक प्राप्ति का उल्लेख), १९१.२३(देवतीर्थ में स्नान से ब्रह्मलोक प्राप्ति का उल्लेख), २७५.२६(हिरण्यगर्भ दान से ब्रह्मलोक प्राप्ति का उल्लेख), वायु ६१.८७(ब्रह्मर्षियों की ब्रह्मलोक में, देवर्षियों की देवलोक में तथा राजर्षियों की इन्द्रलोक में प्रतिष्ठा का उल्लेख), १०१.१४१/.३९.१४१(तप सत्य लोक के बीच ब्रह्मलोक की स्थिति ब्रह्मलोक में अपुनर्मारकामानों के निवास का कथन), १०१.२२०(भूलोक से ब्रह्मलोक की दूरी का मान, ब्रह्मलोक से ऊपर भागवत अण्ड की दूरी), १११.४९/.४९.५८(गया में विभिन्न पदों में श्राद्ध से पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति का कथन ) brahmaloka 

ब्रह्मवेद ब्रह्माण्ड ...२६(ब्रह्मवेद/अथर्ववेद के प्रत्यङ्गिरसों से युक्त तथा द्विशरीर शिर युक्त होने का उल्लेख), वायु ६५.२७/..२७(ब्रह्मवेद के घोर कृत्याविधियों, प्रत्यङ्गिरस योगों तथा शरीरों से युक्त होने का कथन, कृष्ण द्वारा उत्तरा के गर्भ की रक्षा ) brahmaveda 

ब्रह्मव्रत लक्ष्मीनारायण .१०७.८३(पत्नीव्रत पतिव्रता - पुत्र ब्रह्मव्रत की पत्नी शीलव्रता का उल्लेख ; ब्रह्मव्रत के पुत्र कल्याण देवानीक का कथन )

ब्रह्मवल्ली पद्म .१४४(ब्रह्मवल्ली तीर्थ का माहात्म्य), 

ब्रह्मवैवर्त्त भागवत १२..२४(१८ पुराणों में से एक), १२.१३.(ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में १८००० श्लोकों का उल्लेख), मत्स्य ५३.३४(ब्रह्मवैवर्त्त में ब्रह्मवराह का वर्णन होने का उल्लेख, माघ मास की पूर्णिमा को ब्रह्मवैवर्त्त पुराण दान का फल), वायु १०४./.४२.(ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में १८००० श्लोक होने का उल्लेख ) brahmavaivarta 

ब्रह्मशर लक्ष्मीनारायण .९५.११(ब्रह्मशर स्तोत्र की विधि माहात्म्य का वर्णन ) 

ब्रह्मशिर ब्रह्माण्ड ..६५.३३(तारा के कारण देवासुर सङ्ग्राम में रुद्र द्वारा ब्रह्मशिर अस्त्र के प्रयोग का कथन), भागवत ..१९(अश्वत्थामा द्वारा अर्जुन पर ब्रह्मशिर अस्त्र का प्रयोग, अर्जुन द्वारा उपसंहरण), ..१५(ब्रह्मशिर अस्त्र के अमोघ होने वैष्णव तेज से शान्त होने का उल्लेख), .१२.(कृष्ण द्वारा अश्वत्थामा के ब्रह्मशीर्ष अस्त्र से नष्ट उत्तरा के गर्भ को पुन: जीवित करने का उल्लेख , मत्स्य २३.४३(तारा के कारण देवासुर संग्राम में रुद्र द्वारा ब्रह्मशिर अस्त्र के प्रयोग का कथन), हरिवंश .१२६.९३(बाणासुर द्वारा कृष्ण पर ब्रह्मशिर अस्त्र का प्रयोग, कृष्ण के चक्र द्वारा अस्त्र का विनाश ) brahmashira 

ब्रह्मसती लक्ष्मीनारायण .११२.८४(ब्रह्मसती कुमारी का राक्षस द्वारा अपहरण, ब्रह्मसती के शोकरहित रहने पर राक्षस द्वारा ब्रह्मसती का मोचन, ब्रह्मसती का प्रायश्चित्त हेतु उपायों का वर्णन ) 

ब्रह्मसदन भागवत .१७.(गङ्गा के ब्रह्मसदन में आगमन पर भागों में विभाजन का कथन ) 

ब्रह्मसवितृ लक्ष्मीनारायण .३१०(तृतीया व्रत के प्रभाव से राजा ब्रह्मसवितृ उसकी पत्नी भूरिशृङ्गा द्वारा सविता संज्ञा के साथ तादात्म्य प्राप्ति का वर्णन ) 

ब्रह्मसारस लक्ष्मीनारायण .३५.४१(ब्रह्मसारस वत्सर में विद्या के प्रसार हेतु अनादिश्री गुरुनारायण सुविद्या श्री के प्राकट्य का वृत्तान्त )

ब्रह्मसावर्णि भविष्य ..२५.३७(ब्रह्माण्ड घ्राण से उत्पन्न बुध द्वारा ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर की सृष्टि का उल्लेख), भागवत .१३.२१(उपश्लोक - पुत्र ब्रह्मसावर्णि मनु के दशम मन्वन्तर का कथन), विष्णु ..२५(दशम ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर के देवों, इन्द्र, सप्तर्षियों आदि के नाम), लक्ष्मीनारायण .१५६.२६(जड विप्र ब्रह्मसावर्णि द्वारा तप से ब्रह्मसावर्णि मनु बनने का वृत्तान्त ), द्र. मन्वन्तर brahmasaavarni 

ब्रह्मसिद्धि कथासरित् १२..१६(शृगाली की कथा के अन्तर्गत ब्रह्मसिद्धि मुनि ) 

ब्रह्मसूत्र मत्स्य २६३.(प्रासाद में लिङ्ग प्रतिष्ठा हेतु ब्रह्मस्थान के चयन के लिए ब्रह्मसूत्र के प्रयोग का कथन ) brahmasootra/ brahmasutra 

ब्रह्मसोम कथासरित् १२..३६८(राजा अनङ्गोदय द्वारा सिद्धयोगी ब्रह्मसोम से परामर्श ) 

ब्रह्मस्तम्ब लक्ष्मीनारायण .२७०.४४(ब्रह्मस्तम्ब विप्र द्वारा पुरुषोत्तम तीर्थ की स्थापना का वृत्तान्त ) 

ब्रह्मस्थल ब्रह्माण्ड ..१२.२४(ब्रह्मस्थान में विश्वव्यचा समुद्र अग्नि की स्थिति का उल्लेख), ..१२.२५(ब्रह्मस्थान में ब्रह्मज्योति वसुधामा उपस्थेय अग्नि की स्थिति का उल्लेख), मत्स्य २६३.(प्रासाद में लिङ्ग स्थापना हेतु ब्रह्मस्थान के प्रकल्पन का कथन), कथासरित् १२..(कालिन्दीकूलस्थ ब्रह्मस्थल ग्राम में मन्दारवती तीन तरुण ब्राह्मणों की कथा), १२..११(उज्जयिनी नगरी का समीपस्थ ग्राम), १२.१३.(ब्रह्मस्थल ग्राम में रजक कन्या की कथा), १२.२९.(ब्रह्मस्थल ग्राम में चार ब्राह्मण भ्राताओं की कथा ) brahmasthala 

ब्रह्मस्व लक्ष्मीनारायण .३५.५०(विद्या के प्रसार हेतु कृष्ण का ब्रह्मस्व ऋषि के पुत्र गुरु नारायण रूप में अवतार का कथन )

ब्रह्महत्या कूर्म २.३०(ब्रह्महत्या के प्रायश्चित्त की विधि), २.३१.६९(कालभैरव द्वारा ब्रह्मा के पञ्चम शिर के छेदन से ब्रह्महत्या की उत्पत्ति, वाराणसी में मुक्ति), नारद १.३०.७(ब्रह्महत्या के प्रायश्चित्त का विधान), पद्म ६.१६८.३१(वृत्र वध से ब्रह्महत्या की उत्पत्ति, ब्रह्महत्या का प्राणियों में वितरण), ब्रह्म २.२६(ब्रह्महत्या विनाशक इन्द्र तीर्थ का माहात्म्य : वृत्र वध से ब्रह्महत्या द्वारा इन्द्र का अनुसरण, इन्द्र का कमलनाल में प्रवेश, अभिषेक से मुक्ति), २.५३.१५३(मृगयावश दशरथ को तीन ब्रह्महत्याओं की प्राप्ति, मरण और नरक में वास, राम द्वारा गङ्गा में स्नान व पिण्डदान से पाप से मुक्ति), ब्रह्मवैवर्त्त २.३०.१४६(सावित्री - यम संवाद के अन्तर्गत ब्रह्महत्या प्रापक कर्मों का कथन), ४.४७(इन्द्र का ब्रह्महत्या से डर कर कमल तन्तु में छिपना, कवच द्वारा ब्रह्महत्या का नाश), ब्रह्माण्ड  १.२.३५.१६(ऋषियों के वचनों के अनादर से वैशम्पायन द्वारा ब्रह्महत्या की प्राप्ति, ब्रह्महत्या प्रायश्चित्त का भार स्वशिष्यों पर डालने का कथन आदि), २.३.६.३४(ब्रह्महा : अनायुषा व वृष के ४ पुत्रों में से एक), ३.४.९.२४ (ब्रह्म हत्या का प्रजा में विभाजन), भागवत ६.९.६(इन्द्र द्वारा विश्वरूप की हत्या, ब्रह्महत्या को चार भागों में विभाजित कर पृथिवी, जल, वृक्ष व स्त्रियों को प्रदान), ६.१३.१०(वृत्रासुर का वध करने पर ब्रह्महत्या का इन्द्र के पास आगमन, अश्वमेध से मुक्ति), १०.७८.३२+ (रोमहर्षण के वध से बलराम को ब्रह्महत्या की प्राप्ति, बलराम द्वारा प्रायश्चित्त का वर्णन), मत्स्य ३२.३३(ऋतुकामा स्त्री से गमन न करने पर ब्रह्महत्या दोष प्राप्ति का उल्लेख, ययाति - शर्मिष्ठा प्रसंग), ५४.३०(नक्षत्र पुरुष की उपासना से ब्रह्महत्या से मुक्ति), ९०.११(रत्नाचल दान से ब्रह्महत्या आदि से मुक्ति का उल्लेख), ९३.१३९(ग्रहों के कोटि होम से ब्रह्महत्या आदि से मुक्ति का कथन), १८२.१५(अविमुक्त क्षेत्र में जाने से ब्रह्महत्या से मुक्ति का उल्लेख), १८३.९८(ब्रह्महत्या से मुक्ति दिलाने वाले अविमुक्त क्षेत्र में जाने से शिव की ब्रह्मकपाल से मुक्ति का उल्लेख), १९२.१६(शुक्ल तीर्थ में पादपाग्र दर्शन से ब्रह्महत्या से मुक्ति का उल्लेख), २२७.२१५(ब्राह्मण की हत्या से ब्रह्महत्या प्राप्ति का कथन), वामन(ब्रह्मा के कपाल छेदन से शिव का ब्रह्महत्या से ग्रस्त होना, मुक्ति), वायु ५०.२२१(अश्वमेधों से ब्रह्महत्या के दूर होने का उल्लेख), ६१.१३(वैशम्पायन द्वारा ब्रह्मवध दोष की प्राप्ति, शिष्य याज्ञवल्क्य द्वारा अकेले ही ब्रह्मवध के प्रायश्चित्त करने का दावा), १०१.१५३/२.३९.१५३(ब्रह्महत्या पर ताल नामक नरक की प्राप्ति का उल्लेख), १०५.१३/२.४३.१२(गया श्राद्ध से ब्रह्महत्या दोष नष्ट होने का उल्लेख), १०८.५५/२.४६.५८(गया में अगस्त्येश्वर के दर्शन से ब्रह्महत्या पाप से मुक्ति का उल्लेख), स्कन्द १.१.१६.१७(इन्द्र द्वारा ब्रह्महत्या का पृथ्वी आदि में विभाजन), २.१.२८.३७(केशव द्विज द्वारा कटाहतीर्थ के जल के पान से ब्रह्महत्या से मुक्ति का वृत्तान्त), २.३.२(दुहिता में ब्रह्मा की कायासक्ति देखकर शिव द्वारा ब्रह्मा का शिर छेदन, शिव को ब्रह्महत्या की प्राप्ति, बदरी क्षेत्र में गमन से ब्रह्महत्या से मुक्ति), ३.१.११.४०(शक्र द्वारा कपालाभरण राक्षस के वध से उत्पन्न ब्रह्महत्या से सीता सर में स्नान से मुक्ति), ३.१.१९(सूत वध से बलभद्र को ब्रह्महत्या की प्राप्ति, लक्ष्मणेश्वर लिङ्ग दर्शन से मुक्ति) ३.१.२४(ब्रह्मा के पञ्चम शिर कछेदन से भैरव द्वारा ब्रह्महत्या प्राप्ति, वाराणसी तथा गन्धमादन पर स्नान से मुक्ति), ३.१.३४.५६(ब्रह्महत्या का सुमति द्विज के पीछे पडना, धनुषकोटि में स्नान से मुक्ति), ३.१.४७.४०(रावण वध से उत्पन्न ब्रह्महत्या : राम द्वारा बिल में रख कर ऊपर से भैरव की स्थापना), ३.१.४८.६१(शंकर नृप को शाकल्य की हत्या से ब्रह्महत्या की प्राप्ति, भैरव द्वारा हनन), ४.१.३१.५४(ब्रह्महत्या का रूप, कालभैरव द्वारा ब्रह्मा के शिर छेदन से ब्रह्महत्या की कन्या रूप में उत्पत्ति , काल भैरव का अनुगमन), ५.३.८५.५१(कण्व राजा को ब्रह्महत्या की प्राप्ति, ब्रह्महत्या के रूप का वर्णन, सोमनाथ में ब्रह्महत्या का प्रवेश वर्जित), ५.३.११८.२६(इन्द्र की ब्रह्महत्या का स्त्री आदि में विभाजन), ५.३.१५९.१२(ब्रह्महा के कुष्ठी होने का उल्लेख), ५.३.१८४.५(धौतपाप तीर्थ का माहात्म्य : ब्रह्महत्या विनाशक, शिव की ब्रह्मा के पञ्चम शिर छेदन से प्राप्त ब्रह्महत्या से मुक्ति), ५.३.२०९.१७७(भारभूति तीर्थ का माहात्म्य : ब्रह्महत्या प्रभृति महापापों से मुक्ति), ६.२६९.१०(वृत्र वध से इन्द्र का ब्रह्महत्या से लिप्त होना, विश्वामित्र ह्रद में स्नान से ब्रह्महत्या से मुक्ति), वा.रामायण ७.८६(अश्वमेध के अनुष्ठान से इन्द्र का ब्रह्महत्या से मुक्त होना, इन्द्र द्वारा प्राप्त ब्रह्महत्या का चार भागों में विभक्त होना), लक्ष्मीनारायण १.४८.६(इन्द्र की ब्रह्महत्या का नारी आदि में चतुर्धा विभक्त होना), १.५२६.७१(राजा वसु की देह से ब्रह्महत्या के निर्गमन तथा वसु के वर से धर्मव्याध बनने का वृत्तान्त ) brahmahatyaa

This page was last updated on 12/30/15.